इस साल म्यूचुअल फंड्स के करोड़ से ज्यादा सिप अकाउंट बंद हो चुके हैं। इनवेस्टर्स इसे खतरे की घंटी के रूप में देख रहे हैं। एसोशिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एंफी) के डेटा के मुताबिक, 2025 में अब तक एक करोड़ से ज्यादा सिप बंद हो चुके हैं। सिर्फ जून में करीब 48 लाख सिप बंद हो गए या मैच्योर हो गए। इससे सिप स्टॉपेज रेशियो 77.7 फीसदी पहुंच गया। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की सेहत अच्छी है।
इस साल जून में सिप के रास्ते रिकॉर्ड निवेश
इस साल जून में SIP से होने वाला मंथली इनवेस्टमेंट 27,269 करोड़ रुपये के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया। यह मई के 26,688 करोड़ रुपये से ज्यादा है। सिप अकाउंट्स की संख्या भी बढ़कर जून में 9.19 करोड़ पहुंच गई। मई में यह 9.06 करोड़ थी। सिप स्टॉपेज रेशियो से सिप के बंद अकाउंट के मुकाबले नए ओपन होने वाले सिप की संख्या का पता चलता है। सिप स्टॉपेज रेशियो बढ़ने का मतलब यह नहीं है कि इनवेस्टर्स इनवेस्ट करना बंद कर रहे हैं।
कई निवेशकों को हाई वैल्यूएशन की चिंता सता रही
हर साल बड़ी संख्या में सिप के बंद होने की वजह उनकी मैच्योरिटी होती है। लेमन मार्केट्स के गौरव गर्ग ने कहा कि मार्केट की वैल्यूएशन ज्यादा है। कई इनवेस्टर्स इस वजह से भी अपने पैसे निकाल रहे हैं। इसका असर सिप के अकाउंट की संख्या पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ज्यादा वैल्यूएशन की वजह से उन्हें मार्केट में गिरावट की चिंता सता रही है। इसलिए वे अपने पैसे निकाल रहे हैं। लेकिन, यह देखा गया है कि लंबी अवधि तक अपने निवश को बनाए रखने पर इनवेस्टर्स को अच्छा रिटर्न मिलता है।
सिप बंद करने से शानदार रिटर्न का मौका चूक सकते हैं
फिनएज के को-फाउंडर और सीईओ हर्ष गहलोत ने कहा कि जब मार्केट पीक के करीब हो तो सिप बंद करना बड़ी गलती साबित हो सकती है। कई इनवेस्टर्स को लगता है कि ऐसा करना समझदारी है लेकिन सच यह है कि इससे इनवेस्टर्स लंबी अवधि में शानदार रिटर्न कमाने का मौका चूक जाता है। उन्होंने कहा कि सिप आपको लंबी अवधि तक अनुशासन के साथ निवेश करने की सुविधा देता है। इसका मार्केट के चढ़ने और उतरने से कोई मतलब नहीं है।
हर बार मार्केट गिरने के बाद नया ऑल टाइम हाई बनाता है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई इनवेस्टर्स मार्केट में गिरावट पर सिप बंद कर देते हैं। उन्हें यह नहीं पता कि मार्केट जब गिर रहा हो तब निवेश करने पर सबसे ज्यादा कमाई होती है। मार्केट पहले भी कई बार ऑल-टाइम हाई पर जाने के बाद गिरा है। फिर उसने नया ऑल टाइम बनाया है। मार्केट का स्वभाव चढ़ना उतरना है। रूपी कॉस्ट एवरेजिंग और कंपाउंडिंग का फायदा तभी मिलता है जब आप निवेश लंबे समय तक बनाए रखते हैं।