कई इनवेस्टर्स के मन में यह सवाल चलता रहता है कि हर महीने सिप से निवेश करना सही है यह सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) से निवेश करने में ज्यादा फायदा है? पहली नजर में दोनों में कोई बड़ा फर्क नहीं दिखता, क्योंकि पैसा आखिरकार किस्तों में म्यूचुअल फंड के रास्ते शेयरों में जाता है। लेकिन, ध्यान से देखने पर दोनों में अंतर है। दोनों के रिजल्ट्स में भी फर्क होता है।
रेगुलर इनकम है तो सिप सही है
SIP यानी सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान उन लोगों के लिए सही है, जिन्हें रेगुलर इनकम होती है। लैडरअप एसेट मैनेजर्स के एमडी राघवेंद्र नाथ ने कहा, "अगर हर महीने आपको इनकम होती है और आप एक समय में थोड़े अमाउंट का निवेश कर सकते हैं तो फिर सिप आपके लिए सही है। धीरे-धीरे निवेश से लंबी अवधि में आपके लिए बड़ा फंड तैयार हो जाता है। आपको निवेश के लिए सही समय का इंतजार करने की भी जरूरत नहीं पड़ती है।"
एकमुश्त पैसा है तो एसटीपी सही है
STP के लिए आपके पास एकमुश्त पैसा होना जरूरी है। लेकिन, आप अपने पैसे को एकमुश्त निवेश करने की जगह थोड़ा-थोड़ा कर निवेश करते हैं। दरअसल पहले आप अपना पूरा पैसा लिक्विड फंड में रखते हैं। फिर, आपका पैसा थोड़ा-थोड़ा करके इक्विटी फंड में निवेश होता रहता है। लिक्विड फंड में आपके पैसे पर रिटर्न मिलता है। वेल्दी डॉट इन के को-फाउंडर आदित्य अग्रवाल ने कहा, "अगर इनवेस्टर के पास पूरा पैसा पहले दिन से उपलब्ध है तो फिर एसटीपी का रास्ता ज्यादा फायदेमंद है।"
दोनों के निवेश के तरीके में फर्क
इसकी वजह यह है कि सेविंग्स अकाउंट में मिलने वाले रिटर्न के मुकाबले लिक्विड फंड में आपके पैसे पर ज्यादा रिटर्न मिलता है। सेविंग्स अकाउंट में इंटरेस्ट सिर्फ 3 फीसदी है। लिक्विड फंड में आपको करीब 6 फीसदी रिटर्न मिल जाता है। अगर आप कई सालों तक एसटीपी के रास्ते निवेश करते हैं तो इंटरेस्ट में यह फर्क काफी मायने रखता है। इसे एक उदाहरण की मदद से समझा जा सकता है।
दोनों तरीकों के रिटर्न में आता है फर्क
मान लीजिए कोई इनवेस्टर हर महीने सिप से इक्विटी फंड में 10,000 रुपये निवेश करता है। बाकी पैसा वह सेविंग्स अकाउंट में रखता है। दूसरा इनवेस्टर 12 महीने के लिए एसटीपी के रास्ते निवेश करता है। वह 1.2 लाख रुपये लिक्विड फंड में रखता है। फिर उस फंड से इक्विटी फंड में हर महीने 10,000 रुपये का निवेश होता रहता है। दोनों इनवेस्टर्स हर महीने 10,000 रुपये एक ही इक्विटी स्कीम में इनवेस्ट करते हैं। लेकिन, उनके रिटर्न में फर्क देखने को मिलेगा।
लिक्विड फंड के रिटर्न से कुल रिटर्न बढ़ जाता है
सेविंग्स अकाउंट का इंटरेस्ट हम 3 फीसदी मान लेते हैं। लिक्विड फंड से सालाना 6 फीसदी रिटर्न हम मान लेते हैं। इक्विटी फंड से सालाना 12 फीसदी रिटर्न माल लेते हैं। अग्रवाल ने कहा, "सेविंग अकाउंट से आपको 1,682 रुपये का इंटरेस्ट मिलेगा, जबकि लिक्विड फंड से 4,026 रुपये का मिलेगा।" सवाल है कि क्या एसटीपी से हमेशा ज्यादा रिटर्न मिलेगा? इसका जवाब है कि यह जरूरी नहीं है।
टाइम डायवर्सिफिकेशन के फायदे की गारंटी नहीं
इलेवर के सीआईओ करण अग्रवाल ने कहा, "एसटीपी में निवेश से टाइम डायवर्सिफिकेशन का फायदा कंट्रिब्यूशन के पीरियड पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए अगर किसी निवेशक का निवेश के लिए उपलब्ध फंड दिसंबर 2007 तक खत्म हो गया होता तो वह 2008 में मार्केट के गिरावट के दौरान निवेश का मौका चूक जाता।" 2008 में ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस की वजह से शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट आई थी।
अगर आप नौकरी करते हैं और हर महीने सैलरी आपके बैंक अकाउंट में आती है तो सिप आपके लिए ठीक रहेगा। अगर किसी को एकमुश्त इनकम होती है या विरासत में संपत्ति मिलती है और वह मार्केट में धीरे-धीरे इनवेस्ट कर रूपी एवरेज कॉस्ट का फायदा उठाना चाहता है तो उसके लिए एसटीपी का रास्ता सही है।