Small savings schemes: वित्त मंत्रालय ने छोटी बचत योजनाओं की समीक्षा के बाद अपने फैसले का ऐलान कर दिया है। पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) और अन्य पर मिलने वाली ब्याज दरों को जस का तस रखा गया है। ये दरें अक्टूबर-दिसंबर 2025 तिमाही के लिए लागू होंगी।
यह खास इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार ने अब तक सुकन्या समृद्धि खाता (SSA) और सीनियर सिटिजन्स सेविंग्स स्कीम (SCSS) जैसी योजनाओं की दरें नहीं घटाई हैं, जबकि इस साल रेपो रेट में तीन बार कटौती हो चुकी है। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से उधार लेते हैं।
RBI ने इस साल कितनी कटौती की
इस साल RBI ने रेपो रेट में तीन बड़ी कटौती की हैं। साल की शुरुआत में रेपो रेट 6.5% थी। फरवरी और अप्रैल में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई, और जून में 50 बेसिस पॉइंट और घटाए गए। कुल मिलाकर इस साल 1% की कटौती हो गई है।
साथ ही, सरकारी बॉन्ड (G-Sec) की यील्ड्स भी घट गई हैं, जो छोटे बचत योजनाओं की ब्याज दरें तय करने का आधार हैं। 10-वर्षीय G-Sec यील्ड 1 जनवरी 2025 को 6.78% थी, जो 24 सितंबर 2025 तक 6.45% रह गई।
श्यामला गोपीनाथ कमिटी के फार्मूले के अनुसार, PPF दरों को 10-वर्षीय G-Sec यील्ड के साथ 25 बेसिस पॉइंट जोड़कर तय किया जाता है। पिछली तिमाही के हिसाब से यह औसतन 6.66% होना चाहिए था, जबकि वर्तमान PPF दर 7.1% है।
ब्याज दरों में आखिरी बदलाव कब हुआ था
अंतिम बदलाव जनवरी-मार्च 2024 में किया गया था। उस समय 3 साल की टाइम डिपॉजिट रेट 7% से बढ़ाकर 7.1% कर दी गई थी और सुकन्या समृद्धि योजना (SSA) की दर 8% से बढ़ाकर 8.2% कर दी गई थी। अन्य योजनाओं की दरें वही की वही रही।
निवेशकों के लिए इसका मतलब
करोड़ों भारतीय निवेश स्थिर रिटर्न के लिए इन छोटे बचत स्कीमों पर निर्भर हैं। इनमें खासकर वरिष्ठ नागरिक, पेंशनधारी और मध्यम वर्गीय परिवार शामिल हैं। ऐसेम में अगर ब्याज दरें घटतीं, तो उनकी आमदनी पर असर पड़ता। सरकार गोपीनाथ कमिटी के फार्मूले के अनुसार दर तय करती है, लेकिन साथ ही बाजार की स्थिति और निवेशकों की सुरक्षा का भी ध्यान रखती है।