आज के समय में हर सैलरी पाने वाले व्यक्ति के लिए यह सबसे बड़ा सवाल है कि अपनी बचत को कहां और कैसे बांटा जाए। Systematic Investment Plans (SIPs), Employees Provident Fund (EPF) और National Pension System (NPS) तीन ऐसे विकल्प हैं जो अलग-अलग फायदे देते हैं। सही अनुपात में इनका उपयोग करने से न केवल टैक्स बचत होती है बल्कि लंबी अवधि में मजबूत रिटायरमेंट फंड भी तैयार होता है।
SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान):
यह निवेश का सबसे लचीला और लोकप्रिय तरीका है। छोटे-छोटे निवेश से लंबे समय में बड़ा फंड तैयार होता है। इक्विटी आधारित SIP महंगाई को मात देने और तेजी से धन बढ़ाने का साधन है। खासकर युवाओं के लिए SIP में अधिक योगदान करना समझदारी है क्योंकि उनके पास लंबा समय और जोखिम उठाने की क्षमता होती है।
EPF एक सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न देने वाला साधन है। यह हर सैलरी पाने वाले कर्मचारी के लिए अनिवार्य है। इसमें अतिरिक्त योगदान (Voluntary PF) भी किया जा सकता है। यह उन लोगों के लिए बेहतर है जो स्थिरता और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं।
NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम):
NPS खासतौर पर रिटायरमेंट के लिए बनाया गया है। इसमें इक्विटी और डेट दोनों का मिश्रण होता है और साथ ही टैक्स बचत का बड़ा फायदा मिलता है। मध्यम आयु वर्ग के लोगों के लिए NPS में योगदान बढ़ाना सही रणनीति है क्योंकि यह जोखिम और स्थिरता दोनों का संतुलन देता है।
- युवा (20–30 वर्ष): SIP में 60–70% निवेश, EPF अनिवार्य योगदान और NPS में कम हिस्सा।
- मध्य आयु (30–40 वर्ष): SIP और EPF में संतुलन, साथ ही NPS में योगदान बढ़ाकर टैक्स लाभ लेना।
- रिटायरमेंट के करीब (50 वर्ष+): EPF और NPS में 60–70% निवेश, SIP का हिस्सा घटाकर स्थिरता पर ध्यान।
निवेश को अलग-अलग खांचों में बांटने के बजाय इसे एक समग्र योजना की तरह देखना चाहिए। SIP से ग्रोथ, EPF से सुरक्षा और NPS से टैक्स लाभ इन तीनों का सही मिश्रण ही लंबे वित्तीय सफलता और सुरक्षित भविष्य की कुंजी है।