आरबीआई ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) 2017-18 सीरीज III के फाइनल रिडेम्प्शन का ऐलान किया है। ये गोल्ड बॉन्ड 16 अक्टूबर को मैच्योर हो गए हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इनवेस्टर्स को रिडेम्प्शन डेट पर हर एक ग्राम गोल्ड के लिए 12,567 रुपये मिलेंगे। इस प्राइस का कैलकुलेशन इस साल गोल्ड (999 प्योरिटी) की 13 अक्टूबर, 14 अक्टूबर और 15 अक्टूबर की औसत क्लोजिंग कीमतों के आधार पर किया गया है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) ये कीमतें जारी करती है।
अक्टूबर 2017 में आई थी यह सीरीज
2017-18 सीरीज III के Sovereign Gold Bond 16 अक्टूबर, 2017 को इश्यू किए गए थे। गोल्ड के प्रति ग्राम 2,866 रुपये भाव पर ये बॉन्ड्स इश्यू किए गए थे। इसका मतलब है कि इस सीरीज में निवेश करने वाले इनवेस्टर्स को प्रति ग्राम करीब 9,701 रुपये का प्रॉफिट होगा। यह 8 साल में करीब 338 फीसदी का रिटर्न है। इसमें एसजीबी पर मिलने वाला सालाना 2.5 फीसदी का इंटरेस्ट शामिल नहीं है। 8 सालों में सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट को जोड़ दिया जाए तो इनवेस्टर्स का कुल रिटर्न और बढ़ जाएगा।
एसीजीबी की शुरुआत नवंबर 2015 में हुई थी
सरकार ने सॉवरेन गोल्ड स्कीम (एसजीबी) की शुरुआत नवंबर 2015 में की थी। इसका मकसद लोगों को फिजिकल गोल्ड में निवेश का विकल्प देना था। भारत सरकार की ओर से आरबीआई गोल्ड बॉन्ड्स जारी करता है। इसमें निवेश 8 साल में मैच्योर हो जाता है। इनवेस्टर्स को इस दौरान गोल्ड की कीमतों में आई तेजी के हिसाब से रिटर्न मिलता है। इसके अलावा सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट रेट भी मिलता है। इनवेस्टर्स के पास 5 साल बाद पैसे निकालने का विकल्प होता है। एसजीबी की खरीद-बिक्री स्टॉक एक्सचेंजों में भी होती है। लेकिन, सरकार ने पिछले साल फरवरी से एसजीबी की नई किस्त जारी नहीं की है।
एसजीबी के इनवेस्टर्स को मिल रहा बंपर रिटर्न
गोल्ड की कीमतों में बीते 3-4 सालों में जिस तरह का उछाल आया है, उससे एसजीबी के निवेशकों को अपने निवेश पर कई गुना रिटर्न मिलने जा रहा है। लेकिन, सरकार ने एसजीबी की नई किस्त जारी नहीं करने से इनवेस्टर्स निराश हैं। एसजीबी उन इनवेस्टर्स के लिए बहुत अच्छा विकल्प है, जिनकी दिलचस्पी फिजिकल गोल्ड में निवेश करने की जगह गोल्ड की कीमतों में तेजी का फायदा उठाने में रही है। टैक्स के मामले में भी यह स्कीम बहुत अट्रैक्टिव है। एसजीबी मैच्योर होने पर कैपिटल गेंस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। सिर्फ सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट पर टैक्स लगता है।