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Tata Motors Demerger: शेयर मिलने पर कैपिटल गेंस नहीं लगेगा, लेकिन शेयरों को बेचते वक्त सावधानी बरतनी पड़ेगी

जब कोई कंपनी डीमर्ज होती है तो वह शेयरहोल्डर्स को नई कंपनी के स्टॉक्स इश्यू करती है। ये शेयर फ्री में नहीं मिलते हैं। ऑरिजिनल कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन स्प्लिट हो जाता है। इसका मतलब है कि शेयर की कीमत उनकी नेट बुक वैल्यू (NBV) के आधार पर बंट जाते हैं

अपडेटेड Oct 03, 2025 पर 3:02 PM
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शेयरों के विभाजन के लिए रिकॉर्ड डेट 14 अक्टूबर है। नई कंपनी का नाम टीएमएल कमर्शियल व्हीकल्स है, जो नवंबर की शुरुआत में स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट होगी।

टाटा मोटर्स का डीमर्जर 1 अक्टूबर से प्रभावी हो गया है। टाटा मोटर्स के शेयरहोल्डर्स को हर एक शेयर पर नई कमर्शियल व्हीकल कंपनी के एक शेयर मिलेंगे। टाटा मोटर्स का बिजनेस दो कपनियों-पैसेंजर व्हीकल और कमर्शियल व्हीकल में बंट रहा है। शेयरों के विभाजन के लिए रिकॉर्ड डेट 14 अक्टूबर है। नई कंपनी का नाम टीएमएल कमर्शियल व्हीकल्स है, जो नवंबर की शुरुआत में स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट होगी। टाटा मोटर्स का शेयर 3 अक्टूबर को 0.38 फीसदी गिरकर 715.65 रुपये पर चल रहा था।

डीमर्जर का शेयरहोल्डर्स पर असर

जब कोई कंपनी डीमर्ज होती है तो वह शेयरहोल्डर्स को नई कंपनी के स्टॉक्स इश्यू करती है। ये शेयर फ्री में नहीं मिलते हैं। ऑरिजिनल कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन स्प्लिट हो जाता है। इसका मतलब है कि शेयर की कीमत उनकी नेट बुक वैल्यू (NBV) के आधार पर बंट जाते हैं। ताराकश लैयर्स एंड कंसल्टेंट्स के फाउंडर एवं मैनेजिंग पार्टनर कुणाल शर्मा ने कहा, "लिस्टेड कंपनियां आम तौर पर अपने कॉर्पोरेट अनाउंसमेंट में एपोर्शनमेंट रेशियो डिसक्लोज करती हैं। इनवेस्टर्स को इस रेशियो का इस्तेमाल अपने ऑरिजिनल पर्चेज प्राइस पर करना चाहिए।"


शेयरों की कीमतों के निर्धारण का मेथड

ब्रांड स्ट्रेटेजी फर्म Fawkes Solutions की फाउंडर और चार्टर्ड अकाउंटेंट श्रेया जायसवाल ने कहा, "ज्यादातर कंपनियों यह रेशियो पब्लिश करती हैं। उदाहरण के लिए यह 60:40 में हो सकता है। कंपनियां इसे अपनी स्कीम ऑफ अरेंजमेंट में बताती हैं या रिजस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट के जरिए इसकी जानकारी दी जाती है। इसका मतलब है कि अगर आपने ऑरिजिनल शेयर 1,000 रुपये में खरीदा है तो 600 रुपये पुरानी कंपनी की कॉस्ट हो जाती है और 400 रुपये नई कंपनी की कॉस्ट हो जाती है।" टाटा मोटर्स के NBV के लिए परसेंटेज रेशियो का ऐलान करने के बाद इसी तरीके का इस्तेमाल होगा।

नए शेयरों के एलॉटमेंट पर टैक्स के नियम

डीमर्जर पर नई कंपनी के शेयर एलॉट होने पर टैक्स के मामले में किसी तरह का असर नहीं पड़ता है। शेयरहोल्डर के डीमैट अकाउंट में एक नया शेयर आ जाता है और उसे पर्चेज प्राइस डिसक्लोज करना पड़ता है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 47 (VIB)(VID)(VB) के जरिए राहत दी गई है। डीमर्जर की स्कीम के तहत शेयरों के ट्रांसफर को शेयरहोल्डर्स के लिए टैक्सेबल ट्रांसफर नहीं माना जाता है।

नई कंपनी के शेयरों पर कैपिटल गेंस नहीं

शर्मा ने कहा, "इसका मतलब है कि डीमर्जर के तहत नई कंपनी के शेयरों के एलॉटमेंट पर कैपिटल गेंस टैक्स लागू नहीं होता है। टैक्स तभी लगता है जब इनवेस्टर शेयरों को बेचता है।" रिटेल इनवेस्टर्स को इससे ज्यादा कोई स्पेशल एग्जेम्प्शन नहीं मिलता है। डीमर्जर में कानून कंटिन्यूटी बनाए रखने की इजाजत देता है। आईटी एक्ट के सेक्शन 2 (42ए) के तहत नई कंपनी के शेयरों के होल्डिंग पीरियड में पेरेंट कंपनी के शेयरों के होल्डिंग पीरियड को शामिल मान लिया जाता है।

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डीमर्जर के बाद शेयरों का होल्डिंग पीरियड नहीं बदलेगा

शर्मा ने कहा कि इसका मतलब है कि अगर इनवेस्टर के पास डीमर्जर से पहले पेरेंट कंपनी के शेयर 12 महीनों से ज्यादा समय तक थे तो पेरेंट कंपनी और नई कंपनी के शेयरों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के नियम लागू होंगे। इसका मतलब है कि डीमर्जर के बाद शेयरों का होल्डिंग पीरियड नहीं बदलता है। रिटेल इनवेस्टर्स के लिए इसका मतलब यह है कि उसके शेयरों की उम्र डीमर्जर के बाद उतनी ही बनी रहती है।

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