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Tax Harvesting : 2 दिन बचे हैं, कर लें पूरी तैयारी, बेचें घाटे वाले शेयर, घटेगी टैक्स देनदारी

Tax Harvesting : कैपिटल गेन का आयकर कानूनों के तहत जो एडजस्टमेंट किया जाता है उसको ही टैक्स हार्वेस्टिंग कहते हैं। टैक्स हार्वेस्टिंग के जरिए लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल टैक्स बचाया जा सकता है। अगर आपको नुकासान हो रहा है तो आप नुकासान वाले शेयर बेच करके फायदा कमा सकते हैं

अपडेटेड Mar 23, 2024 पर 3:04 PM
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Tax Harvesting : अगर आप घाटे वाले शेयर को बेच रहे हैं तो जिनता आपका घाटा होगा उसको आप 8 साल तक बचा कर रख सकते हैं और इस घाटे को आप अगले 8 साल तक किसी भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के साथ एडजस्ट कर सकते हैं

Tax Harvesting : आपके पास 31 मार्च तक नुकसान या मुनाफे वाले शेयरों को बेचकर टैक्स देनदारी कम करने का मौका है। तकनीकी भाषा में इसे टैक्स हार्वेस्टिंग कहते हैं। यहां हम इसी को समझने की कोशिश कर रहे हैं। हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि टैक्स हार्वेस्टिंग से LTCG और STCG में टैक्स कैसे और कितना बचेगा और क्या शेयर में हुए घाटे को कहीं और भी बुक कर सकते हैं ? पूरी खबर समझाने के लिए सीएनबीसी-आवाज़ के साथ हैं लक्ष्मण रॉय और टैक्स एक्सपर्ट शरद कोहली।

आयकर कानूनों के तहत जो टैक्स एडजस्टमेंट किया जाता है उसको ही टैक्स हार्वेस्टिंग कहते हैं

कैपिटल गेन का आयकर कानूनों के तहत जो एडजस्टमेंट किया जाता है उसको ही टैक्स हार्वेस्टिंग कहते हैं। लक्ष्मण ने बताया कि टैक्स हार्वेस्टिंग के जरिए लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स बचाया जा सकता है। अगर आपको नुकासान हो रहा है तो आप नुकसान वाले शेयर बेच करके फायदा कमा सकते हैं। अगर मुनाफा हो रहा है तो मुनाफा वाला शेयर जहां लॉन्ग टर्म कौपिटल गेन बन रहा है उसको भी बेच के अपनी टैक्स देनदारी घटा सकते हैं या फिर कहें तो आप वहां पर मुनाफा बढ़ा सकते हैं। LTCG (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स) और STCG(शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स) के एडजस्टमेंट से ही टैक्स हार्वेस्टिंग होती है।


घाटे या मुनाफे वाले शेयरों को बेचने के बाद तुरंत खरीदें, लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेजी पर नहीं होगा कोई असर

ये सुनने में बड़ा पेचीदा लग रहा होगा। लेकन बताते चलें कि घाटे वाले शेयरों को या मुनाफे वाले शेयरों को बेचने के बाद इनको तुरंत खरीदने का ऑप्शन होता है। ऐसे में अगर आप घाटे वाले शेयरों को लॉन्ग टर्म के लिए रखना चाहते थे तो इनको तुरंत फिर से खरीद लीजिए। ऐसे में आपको टैक्स का फायदा भी मिल जाएगा और आपका शेयर आपके पोर्टफोलियो में बना भी रहेगा।

8 साल तक कैरीफॉर्वड कर सकते हैं घाटा, किसी भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के साथ होगा एडजस्ट

एक और खास बात ये है कि अगर आप घाटे वाले शेयर को बेच रहे हैं तो जितना आपका घाटा होगा उसको आप 8 साल तक बचा कर रख सकते हैं और इस घाटे को आप अगले 8 साल तक किसी भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के साथ एडजस्ट कर सकते हैं। यानी प्रॉपर्टी का मुनाफा भी शेयर बाजार के घाटे से एडजस्ट किया जा सकता है।

इंट्रा डे और F&0 के ट्रेड पर नहीं मिलेगा इसका फायदा

गौरतरब है कि 31 मार्च से दो दिन पहले तक ही टैक्स हार्वेस्टिंग का फायदा लिया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखने की बात ये है कि इंट्रा डे और F&0 के ट्रेड पर इसका फायदा नहीं मिलता है। हालांकि अगर किसी ने म्युचुअल फंड में लॉन्ग टर्म निवेश कर रखा है तो वो इसका फायदा उठा सकता है। लेकिन इसके लिए थोड़ा ज्यादा गुणा-भाग करना होगा। इंट्रा डे और F&0 में इसका फायदा इसलिए नही मिलेगा क्योंकि इंट्रा डे और F&0 को दरअसल बिजनेस आय माना जाता है।

जानिए क्या हैं STCG और LTCG टैक्स

चूंकि यहां लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स के एडजस्टमेंट की बात हो रही है तो आइए जान लेते हैं कि ये टैक्स क्या हैं। कैपिटल गेन्स टैक्स दो तरह के होते हैं। एक है लॉन्ग टर्म यानी LTCG और दूसरा है शॉर्ट टर्म STCG। LTCG टैक्स का होल्डिंग पीरियड कम से कम 1 साल होता है। इसकी दर 10 फीसदी है। सालाना 1 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई देनदारी नहीं होती।

STCG टैक्स का होल्डिंग पीरियड 1 साल से कम होता है। इसकी दर 15 फीसदी है। मान लीजिए की अगर आपको 1 साल से कम अवधि वाले निवेश पर 1 लाख का मुनाफा होता है तो आपको 15000 रुपए STCG टैक्स चुकाना होगा। ये जो पेंच है इसी को सुलझाकर टैक्स हार्वेस्टिंग की जाती है और टैक्स बचाने के तरीके बताए जाते हैं।

उदाहरण के जरिए समझें टैक्स हार्वेस्टिंग

टैक्स हार्वेस्टिंग को उदाहरण के जरिए ज्यादा आसानी से समझा जा सकता है। मान लेते हैं कि हमें कुछ शेयर पर मुनाफा और कुछ शेयर पर नुकसान हो रहा है। ऐसी स्थिति में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के हिसाब से देखें कि एक साल में आपने 2 लाख की कमाई की है तो आपको यहां STCG टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन इस साल बेच रहे हैं तो आपको 10000 रुपए LTCG टैक्स चुकाना होगा। क्योंकि 2 लाख में से 1लाख रुपए पर तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा लेकिन बाकी 1 लाख पर 10 फीसदी यानी 10000 रुपए LTCG देना होगा। वहीं, अगले साल अगर आप इन शेयरों के बेचेंगे तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसको ऐसे समझिए कि मान लीजिए आपको इस साल किसी निवेश पर 2 लाख की कमाई हो रही है को आप साल का मुनाफा बुक कर लीजिए। इस पर आपको कोई टैक्स नहीं लगेगा। अगले साल जब आप दोबारा बेचने जाएंगे तो फिर आपको कोई टैक्स नहीं लगेगा क्योंकि अगले साल आपका LTCG टैक्स सिर्फ 1 लाख का रह जाएगा। ऐसे में नेट-नेट आपको 10000 रुपए की बचत होगी।

अब मान लिया जाए कि आपको शेयर बेचने पर घाटा और कमाई दोनों हो रही है। मान लीजिए 2 लाख की कमाई हो रही है ओर 2 लाख रुपए का घाटा हो रहा है। तो 2 लाख की कमाई को भी बेच लीजिए और 2 लाख को घाटे को भी बेच लीजिए तो वहां भी आपके टैक्स का एडजस्टमेंट हो जाएगा और आपकी टैक्स देनदारी निल हो जाएगी।

इसी तरह अगर आपने 2 लाख का मुनाफा कमाया और आपको 5 लाख का नुकसान हो गया तो भी बड़ी दिलचस्प स्थिति बनाती है क्योंकि 1 लाख रुपए तक के मुनाफे पर तो आपकी कोई देनदारी बनती नहीं। बचा 1 लाख रुपए का मुनाफा, इसको आप लॉस के साथ एडजस्ट कर लीजिए। अब आप अपने बचे हुए 4 रुपए के रुपए के नुकसान को अपने प्रॉपर्टी बेचने से हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के साथ एडजस्ट कर सकते हैं। इस तरह आपकी टैक्स देनदारी तो खत्म हो ही जाएगी साथ ही आपको कुल मिलाकर 50 हजार रुपए की बचत भी हो जाएगी।

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