ONGC के पूर्व सीएमडी आरएस शर्मा ने सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल और जेट फ्यूल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ाए जाने के कदम और देश के अंदर उत्पादित होने वाले कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स पर कमेंट करते हुए कहा कि कच्चे तेल की उत्पादक कंपनियों पर लगाए गए विंडफॉल टैक्स की राशि बहुत ज्यादा है।
बता दें कि सरकार ने आज पेट्रोल और एविएशन फ्यूल पर 6 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर एक्सपोर्ट टैक्स लगाने का ऐलान किया है। इसके अलावा कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन पर 23,230 रुपये प्रति टन की दर से अतरिक्त टैक्स लगाने का ऐलान किया है। यह टैक्स विंडफॉल टैक्स के तौर पर लगाया गया है।
इस बारे में जारी अपनी अधिसूचना में सरकार ने कहा है कि यह तेल उत्पादन कंपनियों पर लगाया गया एकमुश्त टैक्स है। बताते चलें कि इस तरह के टैक्स को विंडफॉल टैक्स भी कहते हैं। यह टैक्स उन कंपनियों पर लगाया जाता है जो किसी अप्रत्याशित स्थिति में अप्रत्याशित मुनाफा कमा रही होती हैं और इसके लिए कंपनी की अपनी उत्पादन क्षमता या काबिलियत जिम्मेदार नहीं होती।
उदारहरण के लिए बता दें कि यूक्रेन पर रूस के आक्रामण के कारण पूरी दुनिया में कच्चे तेल में अप्रत्याशित उछाल आया है जिससे कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियों को इतना मुनाफा हुआ है जितना की उनको उम्मीद भी नहीं थी। इस तरह के मुनाफे कमाने वाली कंपनियों में ONGC और Oil India जैसी कंपनियां भी हैं। इन कंपनियों को हुए इस अप्रत्याशित मुनाफे को देखते हुए भारत सरकार ने इन पर विंडफॉल टैक्स लगाने का फैसला किया है।
सरकार आसमान छूती महंगाई के बीच एनर्जी, फूड और फर्टिलाइजर सब्सिडी पर आने वाले बोझ को इस विंडफॉल टैक्स के जरिए कम कर सकती है।
इस खबर के चलते आज Reliance Industries, Vedanta, Oil and Natural Gas Corp (ONGC) और Mangalore Refinery and Petrochemicals के शेयरों में जोरदार गिरावट देखने को मिली है।
CNBC-TV18 के साथ एक इंटरव्यू में ओएनजीसी के पूर्व एमडी आरएस शर्मा ने कहा है कि ONGC का शेयर पहले से ही 10 फीसदी नीचे चल रहे हैं। 38 डॉलर प्रति बैरल की दर से लगने वाला यह विंडफॉल टैक्स एक बहुत बड़ी राशि है।
उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि ऐतिहासिक आंकड़ों पर नजर डालें तो जब भी इस तरह के टैक्स लगाए जाते हैं तो वह कुछ दिन बाद फिक्सड हो जाते हैं । जब क्रूड ऑयल की कीमतें 40 डॉलर प्रति बैरल के नीचे जाती हैं तो उससे कंपनियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
RS Sharma सरकार के इस कदम को गलत मानते हैं। उनका कहना है रिफाइनिंग कंपनियों पर इतना बोझ डालना ठीक नहीं। विंडफॉल टैक्स लगाने का तरीका ठीक नहीं है। तय रकम के बजाए प्रतिशत के आधार पर (एड वैलोरेम) टैक्स लगना चाहिए था। रिफाइनिंग कंपनियों पर इतना बोझ डालना ठीक नहीं। क्रूड के दाम घटे तो इससे दिक्कत और बढ़ेगी। बता दें कि एड वैलोरेम उस टैक्स को कहते हैं जो आयात की जा रही सेवाओं या वस्तुओं के मूल्य के प्रतिशत के रूप में लगाया जाने वाला शुल्क होता है न कि उनके वजन या इकाइयों की संख्या पर।
वहीं दूसरी तरफ CNBC-TV18 के साथ हुई अपनी बातचीत में HPCL सीएमडी एमके सुराना ने कहा कि इस विंडफॉल टैक्स के चलते सरकार के लिए एक और वित्तीय स्रोत खुलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए सरकार द्वारा यह उठाया गया अच्छा कदम है।