फिक्स्ड इनकम इनवेस्टर्स के लिए पिछले कुछ साल चैलेंजिंग रहे हैं। कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद केंद्रीय बैंकों ने इकोनॉमी को सहारा देने के लिए इंटरेस्ट रेट घटाए थे। इससे बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट सहित फिक्स्ड इनकम प्रोडक्ट्स (Fixed Income Products) का अट्रैक्शन घट गया। बाद में इनफ्लेशन ने बढ़ना शुरू कर दिया। केंद्रीय बैंकों ने इसे काबू में करने के लिए इंटरेस्ट रे (Interest Rate) रेट बढ़ाना शुरू किया। पिछले साल मई से अब तक RBI इंटरेस्ट रेट 2.5 फीसदी बढ़ा चुका है। हालांकि, अब एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनफ्लेशन में कमी को देखते हुए RBI के रुख में बदलाव देखने को मिल सकता है। लेकिन, अभी यह साफ नहीं है कि भविष्य में इंटरेस्ट रेट की तस्वीर कैसी रहेगी। ऐसे में हम इनवेस्टर्स के लिए फिक्स्ड इनकम इनवेस्टमेंट के 5 ऐसे प्रोडक्ट्स के बारे में बता रहे हैं, जिनमें निवेश से अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स (SDF)
यह म्यूचुअल फंड्स की ऐसी डेट स्कीमें हैं, जो अपना ज्यादातर निवेश शॉर्ट टू मीडियम मैच्योरिटी वाले बॉन्ड में करती हैं। SDF 1 से 3 साल के Macaulay Duration वाले बॉन्ड में पैसे लगाते हैं। इंटरेस्ट रेट में बदलाव का असर लॉन्ग मैच्योरिटी के मुकाबले शॉर्ट मैच्योरिटी वाले बॉन्ड्स पर कम पर पड़ता है। इंटरेस्ट रेट्स जब बढ़ रहे होते हैं तब SDF निवेश का पसंदीदा जरिया होता है। इनका रोलिंग रिटर्न 7 से लेकर 7.6 फीसदी रहा है।
टारगेट मैच्योरिटी फंड्स (TMF)
ऐसे निवेशक जिनकी सोच टाइमफ्रेम को लेकर स्पष्ट है, उनके लिए टारगेट मैच्योरटी फंड (TMF) अट्रैक्टिव हैं। ये पैसिवली मैनेज्ड डेट म्यूचुअल फंड्स हैं। ये फिक्स्ड-इनकम सूचकांकों को ट्रैक करते हैं। इनकी मैच्योरिटी की तारीख पहले से तय होती है। ये अंडरलाइंस इंडेक्स में शामिल डेट सिक्योरिटीज में इनवेस्ट करते हैं। इनमें आम तौर पर गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, स्टेट डेवलपमेंट लोन और सरकारी कंपनियों के हाई क्वालिटी बॉन्ड्स होते हैं। ऐसे फंड्स की यील्ड टू मैच्योरिटी (YTM) 7.3 से 7.5 फीसदी रही है।
रिस्क नहीं लेने वाले इनवेस्टर्स पहले से बैंक और कंपनियों के फिक्स्ड डिपॉजिट प्रोडक्ट्स में निवेश करते आ रहे हैं। अब स्मॉल बैंकों के शुरू हो जाने के बाद फिक्स्ड डिपॉजिट के ज्यादा ऑप्शंस इनवेस्टर्स के लिए बाजार में आ गए हैं। पहले तय इंटरेस्ट रेट इनवेस्टर्स को ऐसे प्रोडक्ट्स की तरफ अट्रैक्ट करता है। RBI के लगातार पॉलिसी रेट्स में इजाफा करने की वजह से बैंक भी अपने एफडी के इंटरेस्ट रेट बढ़ा रहे हैं। बैंक एफडी का इंटरेस्ट रेट 7.3 फीसदी से 8.13 फीसदी चल रहा है।
टैक्स फ्री बॉन्ड्स (Tax Free Bonds)
राज्यों की इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों की तरफ से फाइनेंशियल ईयर 2011-12 से 2015-16 के बीच टैक्स-फ्री बॉन्ड्स जारी किए गए थे। इन्हें स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट कराया गया था। अभी इनमें बीएसई और एनएसई के कैश सेगमेंट में ट्रेडिंग होती है। इननवेस्टर्स अपने डीमैट अकाउंट के जरिए ये बॉन्ड्स खरीद सकते हैं। इन बॉन्ड्स पर इंटरेस्ट का पेमेंट साल में एक बार होता है, जिस पर टैक्स नहीं लगता है। ज्यादा स्लैब में आने वाले इनवेस्टर्स के लिए ये बॉन्ड काफी अट्रैक्टिव हैं। टैक्स फ्री बॉन्ड्स के कूपन रेट 8.1 फीसदी से 8.7 फीसदी के बीच हैं।
नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर्स (NCD) फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स हैं। कंपनियां पब्लिक इश्यू के जरिए लंबी अवधि के फंड जुटाने के लिए एनसीडी इश्यू पेश करती हैं। इनकी अवधि पहले से तय होती है। यह एक से सात साल तक हो सकती है। रिटेल इनवेस्टर्स को अलॉट किए गए एनसीडी एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध हैं। इसमें शेयरों की तरह ट्रेडिंग होती है। इनमें से कुछ में अच्छी लिक्विडिटी और फेयर वैल्यू के करीब ट्रेडिंग हो रही है। इनके इंटरेस्ट रेट 8.4 से 9 फीसदी के बीच है।