अवैध प्रवासियों को आधार जैसे संवेदनशील डॉक्यूमेंट हासिल करने से रोकने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार नियमों को सख्त करने का फैसला किया है। इसके तहत यूआईडीएआई ने भविष्य में वयस्कों के आधार के लिए पासपोर्ट, राशन कार्ड, जन्म और मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्रों के ऑनलाइन डेटाबेस का उपयोग करने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने कहा कि अब किसी भी अवैध अप्रवासी के लिए आधार प्राप्त करना मुश्किल होगा क्योंकि आधार नामांकन प्रक्रिया में कड़े बदलाव किया जा रहे हैं।
यूआईडीएआई वयस्कों के नामांकन और आधार को विश्वसनीय बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। आधार अपडेट के लिए अब से पासपोर्ट राशन कार्ड जन्म और मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्रों के ऑनलाइन डेटाबेस का उपयोग किया। बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले वहां मतदाता सूची अपडेट करने का काम चल रहा है, जिस पर विपक्ष और सरकार के बीच तीखी नोक-झोंक देखने को मिल रही है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट में घसीटा है। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड नागरिकता का नहीं बल्कि आईडी का प्रमाण है।
इस तरह के मुद्दे पहले भी सामने आ चुके हैं। इसलिए अब यूआईडीएआई ने आधार नियमों को कड़ा करने का फैसला किया है।
आधार नामांकन या अपडेट वयस्कों के लिए नहीं होगा आसान
वयस्कों के लिए भविष्य में आधार कार्ड का नामांकन करना या उसे अपडेट कराना आसान नहीं होगा। इस काम के लिए अब पासपोर्ट, राशन कार्ड, जन्म और मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्रों के ऑनलाइन डेटाबेस का इस्तेमाल किया जायेगा।
यूआईडीएआई से अब नवजाति शिशुओं आधार मिल जा रहा है, इसलिए सरकार ने नए वयस्क रजिस्ट्रेशन के नियमों को कड़ा करने का फैसला किया है। पिछले कुछ साल में अवैध प्रवासियों के जाली डॉक्यूमेंट की मदद से आधार लेने और फिर अन्य उद्देश्यों के लिए करने को लेकर चिंताएं सामने आई हैं। एक अधिकारी ने तर्क दिया कि अब किसी भी अवैध अप्रवासी के लिए आधार प्राप्त करना मुश्किल होगा, क्योंकि आधार नामांकन प्रक्रिया में कड़े बदलाव किया जा रहे हैं।
अब अवैध प्रवासी नहीं ले पाएंगे आधार
अवैध प्रवासियों द्वारा जाली दस्तावेजों के जरिए आधार प्राप्त करने पर रोक लगाने के लिए सरकार ये कदम उठा रही है। अवैध प्रवासी जाली या फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विशिष्ट पहचान पत्र लेने की कोशिश करते रहे हैं। इसके सत्यापन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की रही है और आधार केवल राज्य पोर्टल के माध्यम से कड़ी जांच के बाद ही जारी किया जाता है।
15 साल में, 140 करोड़ से ज्यादा आधार बने
बीते 15 साल के दौरान देश में 140 करोड़ से ज्यादा आधार बनाए गए हैं। हालांकि, आधार अधिनियम की धारा 9 में कहा गया है कि यह नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं है, लेकिन नए उपाय यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि केवल नागरिक ही विशिष्ट संख्या प्राप्त करें।