किसान क्रेडिट कार्ड का लोन न चुकाने पर नीलाम हो सकती है जमीन, क्या हैं किसानों के कानूनी अधिकार?
Kisan Credit Card loan default: अगर किसान क्रेडिट कार्ड का लोन नहीं चुकाया जाए, तो बैंक जमीन नीलाम तक कर सकता है। लेकिन इस स्थिति में किसानों के पास कई कानूनी उपाय और अधिकार होते हैं, जिनसे वे अपनी जमीन बचा सकते हैं।
अगर किसान तय समय पर KCC लोन नहीं चुकाता, तो बैंक पहले कुछ रीमाइंडर और नोटिस भेजता है।
Kisan Credit Card loan default: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) किसानों के लिए बड़ी सरकारी मदद है। इसके जरिए किसान बीज, खाद, कीटनाशक या खेती से जुड़ी ज़रूरतों के लिए बैंक से कम ब्याज पर लोन ले सकते हैं। लेकिन अगर किसी वजह से किसान यह लोन नहीं चुका पाता, तो क्या बैंक उसकी जमीन नीलाम कर सकता है? जवाब है- हां, कर सकता है। लेकिन, बैंक कब आपकी जमीन नीलाम कर सकता है और आपके कानूनी अधिकार क्या हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड क्या है?
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) एक ऐसी योजना है, जिसके जरिए किसान बैंक से काफी कम ब्याज दर पर कर्ज ले सकते हैं। यह लोन खेती से जुड़ी जरूरतों जैसे बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई या छोटे उपकरणों के लिए मिलता है।
इस योजना की शुरुआत 1998 में शुरू हुई थी, ताकि किसानों को साहूकारों पर निर्भर न रहना पड़े और उन्हें सीधे बैंक से कर्ज मिल सके। इस कार्ड की मदद से किसान नकद निकाल सकते हैं या सीधे अपने बैंक खाते से खेती के खर्च पूरे कर सकते हैं।
किसानों को कितना कर्ज मिलता है?
इस योजना के तहत आम तौर पर किसान को 50 हजार रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक का लोन आसानी से मिल सकता है। किसानों की जरूरत और भूमि क्षेत्र के हिसाब से यह रकम बढ़ भी सकती है।
लोन चुकाने की अवधि फसल के चक्र पर निर्भर करती है यानी रबी या खरीफ सीजन के हिसाब से आमतौर पर 6 महीने से 1 साल के भीतर भुगतान करना होता है। अगर किसान समय पर लोन चुका देता है, तो उसे ब्याज पर 2% से 3% तक की छूट भी मिलती है। इसका मतलब है कि अगर आपको 7% की दर पर कर्ज मिला है, तो छूट के बाद यह 4% तक रह जाएगा।
लोन नहीं चुका पाने पर क्या होगा
अगर किसान तय समय पर लोन नहीं चुकाता, तो बैंक पहले कुछ रीमाइंडर और नोटिस भेजता है। अगर लगातार 90 दिन तक भुगतान नहीं हुआ, तो बैंक उस खाते को NPA (Non-Performing Asset) घोषित कर देता है। इसका मतलब है कि बैंक को लगने लगता है कि अब पैसा वापस आना मुश्किल है।
इसके बाद बैंक रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करता है। पहले समझौते की कोशिश होती है, फिर कानूनी नोटिस, और आखिर में जमीन जब्ती की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
बैंक का नोटिस और सरकारी प्रक्रिया
बैंक या सहकारी संस्था किसान को रिकवरी नोटिस भेजती है। अगर नोटिस मिलने के बाद भी किसान भुगतान नहीं करता, तो बैंक मामला तहसीलदार या जिला प्रशासन को भेज देता है।
तहसीलदार इस रकम को 'राजस्व बकाया' मानकर वसूली की कार्रवाई शुरू करता है। अगर स्थिति नहीं संभलती, तो प्रशासन भूमि कुर्की यानी जमीन को अस्थायी तौर पर जब्त कर लेता है।
जमीन नीलामी कैसे होती है
अगर बैंक और प्रशासन की सभी कोशिशों के बाद भी पैसा नहीं मिलता, तो बैंक को जमीन नीलाम करने का अधिकार मिल जाता है। नीलामी की प्रक्रिया इस तरह होती है:
बैंक नीलामी की तारीख तय करता है और उसकी सूचना अखबारों में छपवाता है।
किसान को आखिरी बार भुगतान करने का मौका दिया जाता है।
अगर वह नहीं चुका पाता, तो बैंक जमीन नीलाम कर देता है।
नीलामी से जो रकम मिलती है, उससे लोन की भरपाई की जाती है।
अगर नीलामी में ज्यादा पैसा मिलता है, तो बाकी रकम किसान को लौटा दी जाती है।
यह पूरी प्रक्रिया SARFAESI Act, 2002 के तहत होती है। इस कानून के तहत बैंक बिना अदालत की मंजूरी के भी गिरवी रखी जमीन बेच सकता है।
कब जमीन नीलाम नहीं हो सकती?
कुछ परिस्थितियों में किसान की जमीन नीलाम नहीं की जा सकती, भले ही किसान क्रेडिट कार्ड के लोन पर डिफॉल्ट कर गया हो।
अगर किसान ने फसल बाढ़, सूखा या प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होने के चलते लोन नहीं चुकाया।
अगर सरकार ने लोन माफी या राहत पैकेज की घोषणा की है।
अगर किसान छोटा या सीमांत किसान है और उसकी जमीन 5 एकड़ से कम है।
अगर लोन फसल बीमा योजना के तहत कवर था और बीमा से पैसा मिलना बाकी है।
इन हालात में किसान को राहत मिल सकती है और नीलामी टल सकती है।
किसान के कानूनी अधिकार क्या हैं?
अगर नीलामी की नौबत आ भी जाए, तो किसान के पास कई रास्ते खुले रहते हैं। वह सबसे पहले बैंक से बात करके री-स्ट्रक्चरिंग यानी लोन की शर्तें दोबारा तय कराने या वन टाइम सेटलमेंट का विकल्प चुन सकता है। अगर बैंक ने नियमों का पालन नहीं किया या गलत प्रक्रिया अपनाई है, तो किसान Debt Recovery Tribunal (DRT) या अदालत में अपील कर सकता है।
इसके अलावा, किसान कोर्ट से स्टे ऑर्डर लेकर नीलामी को अस्थायी रूप से रुकवा सकता है। अगर बैंक ने बिना नोटिस दिए सीधी कार्रवाई की है, तो किसान उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज कर न्याय की मांग भी कर सकता है।
नीलामी पहला नहीं, आखिरी रास्ता
किसान क्रेडिट कार्ड का लोन न चुकाने पर जमीन नीलामी संभव है, लेकिन यह बैंक का पहला कदम नहीं, आखिरी कदम होता है। बैंक पहले हर तरह की वसूली और समझौते की कोशिश करता है। अगर किसान शुरुआत से ही बैंक से संवाद रखे, तो वह लोन की किस्तें बढ़वाकर या नई योजना में शामिल होकर नीलामी से बच सकता है।
इसलिए सबसे जरूरी बात यह है कि अगर लोन चुकाने में दिक्कत हो, तो चुप न रहें, बैंक से बात करें। समय रहते संवाद और समाधान ही किसान को अपनी जमीन बचाने में मदद कर सकते हैं।