Loan: कर्ज खत्म करने का सही तरीका क्या है? जानें सेटलमेंट और फुल क्लोजर की पूरी डिटेल?

Loan: कर्ज खत्म करने का सही तरीका आपकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। जहां फुल क्लोजर आपको बेहतर क्रेडिट स्कोर और वित्तीय स्वतंत्रता देता है, वहीं सेटलमेंट गंभीर वित्तीय संकट में आखिरी विकल्प के रूप में ही अपनाना चाहिए।

अपडेटेड Oct 31, 2025 पर 4:09 PM
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कर्ज की दुनिया में अकसर एक बड़ा सवाल होता है कि कर्ज खत्म करने का सबसे सही तरीका क्या है? क्या सीमित राशि लेकर कर्ज सेटल करना बेहतर है या पूरी रकम चुका कर फुल क्लोजर करना? यह फैसला आपकी आर्थिक स्थिति और भविष्य की वित्तीय योजना पर गहरा असर डालता है। ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि कौन सा विकल्प ज्यादा अच्छा साबित होता है।

सेटलमेंट क्या है?

सेटलमेंट का मतलब होता है कि जब आप पूरे बकाए की रकम चुका पाने में असमर्थ हों, तो बैंक या लोनदाता के साथ बातचीत कर कम राशि में कर्ज को पूरा मान लिया जाता है। यह एक समझौता होता है जिसमें आप कम पैसे देते हैं और बाकी कर्ज माफ हो जाता है। हालांकि यह तुरंत राहत देता है, लेकिन आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में यह 'सेटल्ड' के रूप में दर्ज होता है, जो आपका क्रेडिट स्कोर गिराता है और भविष्य में लोन प्राप्त करना मुश्किल और महंगा पड़ सकता है।

फुल क्लोजर का मतलब क्या है?

फुल क्लोजर का मतलब होता है कि आप लोन की पूरी राशि, ब्याज समेत, समय पर या जल्दी चुका देते हैं। इस स्थिति में बैंक आपको नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) या क्लोजर लैटर देता है, जिससे साबित होता है कि आपका लोन पूरी तरह से बंद हो चुका है। इसका असर आपकी क्रेडिट रिपोर्ट पर सकारात्मक होता है, जिससे आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर होता है और भविष्य में लोन लेना आसान हो जाता है।


सेटलमेंट और क्लोजर में मुख्य अंतर

सबसे बड़ा अंतर भुगतान की गई राशि का है; सेटलमेंट में पूरा बकाया चुकाया नहीं जाता, जबकि क्लोजर में पूरा पैसा चुका दिया जाता है। सेटलमेंट आपकी क्रेडिट रिपोर्ट पर नकारात्मक छाप छोड़ता है, वहीं क्लोजर सकारात्मक आंकड़ा माना जाता है। भविष्य के लिए भी क्लोजर बेहतर होता है क्योंकि इससे क्रेडिट स्कोर मजबूत होता है और नए लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

कब करें सेटलमेंट और कब फुल क्लोजर?

सेटलमेंट केवल तभी करें जब आपकी आर्थिक स्थिति स्थायी रूप से खराब हो और पूरा ब्याज और प्रिंसिपल चुकाना संभव न हो। इस विकल्प को अपनाने से पहले दूसरे विकल्प जैसे लोन रिज्ट्रक्चरिंग, टेन्योर बढ़ाना, या EMI में बदलाव पर विचार करें। वहीं, अगर आपकी स्थिति अच्छी है तो हमेशा फुल क्लोजर करें क्योंकि यह आपकी फाइनेंशियल हेल्थ के लिए बेहतर रहता है।

सेटलमेंट करते समय सावधानियां

सेटलमेंट समझौते को हमेशा लिखित रूप में लें, आधिकारिक चैनलों से ही भुगतान करें और रसीद संभालकर रखें। इससे बाद में किसी विवाद से बचा जा सकता है। सेटलमेंट के बाद भी अपनी बाकी वित्तीय जिम्मेदारियों को समय पर निभाते रहें ताकि आपकी क्रेडिट हिस्ट्री सुधर सके।

फुल क्लोजर के बाद क्या करें?

जब लोन फुल क्लोजर हो जाए, तब बैंक से NOC और लोन क्लोजर की आधिकारिक पुष्टि जरूर लें। इसके बाद 30-60 दिन में क्रेडिट रिपोर्ट जांचें कि लोन ‘क्लोज्ड’ दिख रहा है या नहीं। यह आपकी क्रेडिट वेल्थ और आगे के लोन के लिए मदद करता है।

कर्ज खत्म करने का सही तरीका आपकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। जहां फुल क्लोजर आपको बेहतर क्रेडिट स्कोर और वित्तीय स्वतंत्रता देता है, वहीं सेटलमेंट गंभीर वित्तीय संकट में आखिरी विकल्प के रूप में ही अपनाना चाहिए। हमेशा समझदारी से निर्णय लें और दस्तावेजों को संभालकर रखें ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो।

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