वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट में प्रॉपर्टी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस में इंडेक्सेशन का बेनेफिट खत्म करने का ऐलान किया। इसका सबसे ज्यादा असर मिडिल क्लास पर पड़ेगा। इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति अगर अपना घर बेचता है तो उससे होने वाले कैपिटल गेंस के कैलकुलेशन के लिए इंडेक्सेशन का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। यह पूरा मामला क्या है, इससे घर बेचने पर किस तरह का असर पड़ेगा? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।'
बजट में ऐलान के बाद क्या बदलाव आएगा?
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि बजट में इंडेक्सेशन बेनेफिट्स खत्म होने से घर या रियल एस्टेट प्रॉपर्टी बेचने पर अब पहले के मुकाबले ज्यादा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स चुकाना होगा। पहले जब इंडेक्सेशन बेनेफिट मिलता था तो प्रॉपर्टी बेचने पर हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 20 फीसदी टैक्स लगता था। अब इनकम टैक्स की नई रीजीम में प्रॉपर्टी बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर इंडेक्सेशन का बेनेफिट नहीं मिलेगा और गेंस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा।
पहले कैसे होता था टैक्स का कैलकुलेशन?
इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लीजिए आपने कोई प्रॉपर्टी फाइनेंशियल ईयर 1991-92 में खरीदी थी। उसे आपने 20,00,000 रुपये में खरीदा था। इसे आपने 2009-10 में 80,00,000 रुपये में बेच दिया। इंडेक्सेशन बेनेफिट होने पर प्रॉपर्टी की खरीद मूल्य को इनफ्लेशन के साथ एडजस्ट किया जाएगा। इससे प्रॉपर्टी की खरीद मूल्य 63.51 लाख रुपये मानी जाएगी। अब 80 लाख रुपये में से 63.51 लाख रुपये घटाने पर 16.49 लाख रुपये का कैपिटल गेंस आता है। इस पर 20 फीसदी टैक्स लगाने पर कुल टैक्स 3.29 लाख रुपये आएगा।
अब कैसे होगा टैक्स का कैलकुलेशन?
अब हम इसी प्रॉपर्टी पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के बगैर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस का कैलकुलेशन करते हैं। हमें यह ध्यान में रखना होगा कि वित्तमंत्री ने 23 जुलाई को कहा कि इंडेक्सेशन बेनेफिट खत्म होने के बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा। इस हिसाब से इनकम टैक्स की नई रीजीम में 80 लाख रुपये में से 20 लाख रुपये को घटाया जाएगा। इससे 60,000 रुपये का कैपिटल गेंस आएगा। इस पर 12.5 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगाने पर कुल टैक्स 7.5 लाख रुपये आएगा। यह इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ कैपिटल गेंस टैक्स के मुकाबले काफी ज्यादा है।
प्रॉपर्टी में निवेश का आकर्षण घट जाएगा?
JLL India में चीफ इकोनॉमिस्ट और रिसर्च हेड सामंतक दास ने कहा, "मुझे ऐसा लगता है कि अगर रेगुलर मार्केट मूवमेंट की वजह से प्रॉपर्टी का सेलिंग प्राइस कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) के जरिए कैलकुलेट किए गए प्राइस के मुकाबले काफी ज्यादा आता है तो नई रीजीम ज्यादा फायदेमंद है।" एक्सपर्ट्स का कहना है कि नॉन-मेट्रो शहरों में ज्यादातर मामलों में प्रॉपर्टी की कीमतें CII के मुकाबले ज्यादा नहीं बढ़ी हैं। इंडेक्सेशन बेनेफिट नहीं होने पर कुल बिक्री मूल्य पर लगने वाला टैक्स काफी ज्यादा होगा। इससे प्रॉपर्टी में निवेश का आकर्षण काफी हद तक घट जाएगा।
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बजट में ऐलान के बाद शेयरों में आई थी गिरावट
यूनियन बजट में प्रॉपर्टी के लॉन्ग टर्म गेंस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट खत्म होने के ऐलान के बाद रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी। निफ्टी रियल्टी इंडेक्स 2.29 फीसदी गिरा था। DLF का शेयर 6 फीसदी तक गिर गया था। ओबेरॉय रियल्टी का स्टॉक 3.3 फीसदी गिर गया था। हालांकि, 24 जुलाई को ज्यादातर रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों में रिकवरी देखने को मिली।