महंगाई के दौर में पर्सनल लोन कई बार जीवन की मुश्किलों से उबारने वाला सहारा बन जाता है, लेकिन ब्याज दरों की ऊंची कीमत इसे बोझिल भी बना सकती है। बैंक और फिनटेक कंपनियां अब मिनटों में लोन मंजूर कर रही हैं, फिर भी विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि इसे सिर्फ वाकई जरूरी स्थितियों में ही हाथ लगाएं। आज हम जानेंगे उन पांच मौकों के बारे में जब पर्सनल लोन लेना न सिर्फ जायज होता है, बल्कि आपकी वित्तीय सेहत के लिए सही कदम भी साबित होता है।
अचानक बीमारी या दुर्घटना के समय अस्पताल के बिल पहाड़ बन जाते हैं। स्वास्थ्य बीमा होने पर भी कई खर्च बाहर रह जाते हैं, जैसे सर्जरी या आईसीयू का पूरा बिल। ऐसे में पर्सनल लोन फौरन पैसे मुहैया कराकर इलाज में देरी रोकता है। वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि जिंदगी से जुड़े संकट में यह कर्ज सबसे व्यावहारिक विकल्प है, क्योंकि समय की कीमत किसी भी ब्याज से ज्यादा होती है।
घर में पानी की टंकी फूटना, छत टपकना या बिजली के तारों की खराबी जैसी परेशानियां रुकने का नाम नहीं लेतीं। होम लोन टॉप-अप की प्रक्रिया लंबी होने पर पर्सनल लोन तत्काल मदद करता है। इससे छोटी समस्या बड़ा नुकसान बनने से बच जाती है और परिवार सुरक्षित रहता है। यह खर्च जिम्मेदारी का प्रतीक है, न कि फिजूलखर्ची।
भारतीय संस्कृति में विवाह या बड़े रस्में बचत से परे चली जाती हैं। बजट सीमित होने पर पर्सनल लोन उत्सव की रौनक बनाए रखता है, बशर्ते किस्त चुकाने की योजना पहले से हो। सलाहकार जोर देते हैं कि क्षमता के दायरे में रहकर लिया गया कर्ज खुशियां बरकरार रखता है।
बीमार रिश्तेदार से मिलने या पारिवारिक संकट सुलझाने के लिए अचानक सफर करना पड़े, तो पर्सनल लोन टिकट और रहन-सहन कवर कर देता है। छुट्टियों के उलट, ये यात्राएं अनिवार्य होती हैं। इससे बचत सुरक्षित रहती है और जिम्मेदारियां निभाई जा सकती हैं।
स्टूडेंट लोन के बाद भी विदेशी पढ़ाई में किताबें, प्रोजेक्ट या रहन-सहन का बोझ बढ़ जाता है। पर्सनल लोन इस कमी को पूरा कर पढ़ाई सुचारू रखता है। लंबे समय में शिक्षा पर निवेश हमेशा फायदेमंद साबित होता है।
कर्ज लेना आसान है, लेकिन चुकाना समझदारी मांगता है। अपनी आय और EMI का हिसाब लगाकर ही कदम उठाएं, ताकि यह मददगार बने न कि जाल। सही फैसला वित्तीय आजादी देता है।