EPFO Rules: कर्मचारियों की रिटायरमेंट सुरक्षा के लिए EPFO (Employees Provident Fund Organisation) का नियम है कि जिन कंपनियों में 20 या उससे ज्यादा कर्मचारी हैं, उन्हें प्रोविडेंट फंड स्कीम में शामिल होना जरूरी है। इस स्कीम के तहत हर महीने कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को बेसिक सैलरी का 12% योगदान करना होता है।
आइए जानते हैं कि PF अकाउंट में कौन कितना कंट्रीब्यूट करता है और EPFO इस पैसे को कहां और कैसे निवेश करता है।
तीन हिस्सों में बंटता है PF योगदान
EPF के तहत जमा होने वाली रकम सिर्फ एक खाते में नहीं जाती। यह तीन हिस्सों में बंटती है। पहला हिस्सा सीधे आपके EPF खाते में जमा होता है, दूसरा हिस्सा पेंशन स्कीम यानी EPS में जाता है और तीसरा हिस्सा इंश्योरेंस के लिए EDLI स्कीम में जाता है। यही वजह है कि पासबुक में नियोक्ता का योगदान अलग-अलग दिखाई देता है।
कर्मचारी की ओर से जो 12% रकम कटती है, वह पूरी तरह EPF खाते में जाती है। इस पर हर साल ब्याज भी मिलता है। यानी आपका योगदान सिर्फ एक जगह केंद्रित होता है और पासबुक में आपको इसका पूरा अमाउंट एक लाइन में दिखाई देता है।
नियोक्ता का योगदान कहां जाता है?
नियोक्ता की ओर से किया गया 12% योगदान तीन हिस्सों में बंट जाता है। इसमें से 8.33% हिस्सा EPS (पेंशन स्कीम) में जाता है, 3.67% हिस्सा EPF में आता है और इसके अलावा EDLI के लिए अलग से योगदान करना होता है। यही कारण है कि नियोक्ता का योगदान EPF में कम नजर आता है जबकि असल में वह भी पूरी 12% रकम जमा कर रहा होता है।
मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी का 12% बनता है 2000 रुपये। आपकी तरफ से पूरे 2000 रुपये EPF खाते में जाएंगे। नियोक्ता भी 2000 रुपये जमा करेगा लेकिन इसमें से करीब 611 रुपये (3.67%) EPF में जाएंगे और 1389 रुपये (8.33%) EPS में। इस तरह नियोक्ता का योगदान कम दिखाई देता है लेकिन पूरी रकम आपके भविष्य के लिए ही उपयोग होती है।
इस व्यवस्था का मकसद क्या है?
इस सिस्टम का मकसद यह है कि रिटायरमेंट के बाद आपको सिर्फ एकमुश्त रकम ही न मिले बल्कि पेंशन के रूप में नियमित आय भी हो। इसी वजह से नियोक्ता का एक बड़ा हिस्सा पेंशन स्कीम में डाला जाता है। आप पीएफ के पैसों को कुछ शर्तों के साथ निकाल सकते हैं, लेकिन पेंशन स्कीम में योगदान को आसानी से नहीं निकाला जा सकता है।
अगर आपने 10 साल से कम नौकरी की है और आप PF अकाउंट को बंद कर रहे हैं (जैसे नौकरी छोड़ दी, नया PF अकाउंट नहीं खोला), तो आप EPS का हिस्सा निकाल सकते हैं। इसके लिए Form 10C भरकर आवेदन करना होता है। लेकिन, अगर आपने 10 साल या उससे अधिक काम किया है, तो आप EPS से रकम निकाल सकते। इस स्थिति में आपको सिर्फ पेंशन के लिए पात्रता मिलती है और आप 58 साल की उम्र के बाद मासिक पेंशन के हकदार बनते हैं।
EPFO कहां निवेश करता है यह पैसा
EPFO जमा किए गए फंड को पूरी तरह कैश में नहीं रखता। इस पैसे को सुरक्षित और निश्चित रिटर्न देने वाले विकल्पों में लगाया जाता है। ज्यादातर हिस्सा सरकारी बॉन्ड्स और सिक्योरिटीज में लगाया जाता है ताकि मूल रकम सुरक्षित रहे। इसके अलावा कुछ हिस्सा पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर की बॉन्ड स्कीमों में भी निवेश किया जाता है।
पिछले कुछ सालों में EPFO ने अपने फंड का एक हिस्सा स्टॉक मार्केट से जुड़े ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में भी लगाना शुरू किया है। यह हिस्सा कुल निवेश का 15 प्रतिशत तक सीमित होता है। इसका उद्देश्य लॉन्ग टर्म में रिटर्न बढ़ाना है, लेकिन EPFO का फोकस सुरक्षा और स्थिर रिटर्न पर ही रहता है।