निवेशक अकसर सोचते हैं कि अपनी बचत को सुरक्षित रखने और अच्छे रिटर्न पाने के लिए PPF (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड) और FD (फिक्स्ड डिपॉजिट) में से कौन सा विकल्प चुनें। दोनों ही वित्तीय साधन भारत में बहुत लोकप्रिय हैं, लेकिन इनके फायदे, जोखिम और टैक्स लाभ अलग-अलग हैं। आइए, जानें कि लंबी अवधि के लिए कौन सा निवेश बेहतर रहेगा।
PPF सरकार द्वारा समर्थित लंबी अवधि की बचत योजना है, जिसका लॉक-इन पीरियड 15 साल होता है। इसमें जमा राशि पर निश्चित दर से ब्याज मिलता है और यह ब्याज कर-मुक्त होता है, यानी न तो ब्याज पर टैक्स लगता है और न ही प्राप्ति पर। यह योजना छोटे निवेशकों के लिए सबसे सुरक्षित और लाभकारी मानी जाती है।
FD बैंक या छोटे फाइनेंस बैंक तथा पोस्ट ऑफिस में निवेश किया जा सकता है। यह निवेश किसी तय अवधि के लिए होता है, जिसमें ब्याज दर निश्चित रहती है। FD में ब्याज कर योग्य होता है, और अगर लाभ ₹40,000 से अधिक हो तो TDS भी कटता है। FD लिक्विडिटी के मामले में अधिक लचीला होता है क्योंकि आप अपनी जरूरत पड़ने पर प्रीमैच्योर विड्रॉल कर सकते हैं, हालांकि कुछ पेनल्टी लग सकती है।
PPF में वर्तमान ब्याज दर लगभग 7% के आसपास है, जो सरकार द्वारा समय-समय पर तय होती है। इसके मुकाबले FD में ब्याज दरें अक्सर 6.5% से लेकर 8% तक होती हैं, बैंकों और अवधि के हिसाब से। हालांकि, PPF का ब्याज टैक्स-फ्री होने की वजह से इसका वास्तविक लाभ ज्यादा होता है।
निवेश के लिए सही विकल्प कैसे चुनें?
- अगर आप लंबी अवधि के लिए कर बचत के साथ सुरक्षित निवेश चाहते हैं, तो PPF श्रेष्ठ विकल्प है।
- यदि आपको मध्यम अवधि के लिए लिक्विडिटी चाहिए और आप ज्यादा ब्याज पाना चाहते हैं, तो FD बेहतर है।
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए अक्सर FD में ब्याज दरों पर अतिरिक्त छूट मिलती है, जिससे यह भी आकर्षक विकल्प बन जाता है।
PPF और FD दोनों अपने-अपने फायदे और सीमाएं रखते हैं। आपका निवेश लक्ष्य, जोखिम लेने की क्षमता, और आवश्यकता के अनुसार ही इन दोनों में से चुनाव करें। लंबी अवधि के लिए PPF कर बचाने के लिहाज से बेहतर है, जबकि यदि आपको तात्कालिक जरूरतों के लिए लिक्विडिटी चाहिए, तो FD बेहतर प्रदर्शन करता है।