Credit Cards

Ahoi Ashtami 2025 Vrat Vidhi: मां पार्वती का रूप हैं अहोई माता, जानें अहोई अष्टमी व्रत विधि

Ahoi Ashtami 2025 Vrat Vidhi: अहोई अष्टमी का व्रत माताएं संतान की लंबी उम्र और उसकी सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। ये व्रत कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इसमें अहोई माता की पूजा की जाती है, जिन्हें मां पार्वती का रूप माना जाता है। जानें इस व्रत की संपूण विधि

अपडेटेड Oct 12, 2025 पर 7:00 AM
Story continues below Advertisement
अहोई माता को देवी पार्वती का एक रूप माना जाता है।

Ahoi Ashtami 2025 Vrat Vidhi: अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। करवा चौथ के चार दिन बाद आने वाला यह व्रत माताओं के लिए बेहद खास माना जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के लिए करती हैं। इस व्रत में माताएं निर्जला व्रत करती हैं और विधि-विधान से अहोई माता की पूजा करती हैं। इस व्रत का समापन शाम को तारों को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान का सुखी, स्वस्थ और दीर्घायु जीवन सुनिश्चित होता है। इस व्रत का पालन करने से परिवार में संतान की समृद्धि और सुरक्षा भी बनी रहती है।

अहोई अष्टमी तिथि

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:24 बजे से शुरू होगी और 14 अक्टूबर 2025 को सुबह 11:09 बजे समाप्त होगी। अष्टमी तिथि में तारों को अर्घ्य 13 अक्टूबर 2025 को दिया जा सकता है, इसलिए अहोई अष्टमी का व्रत भी इसी दिन होगा।

अहोई अष्टमी 2025 पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस साल अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:53 बजे से शाम 7:08 बजे तक है। तारों को जल अर्पित करने का समय शाम 6:17 बजे तक है। चंद्रमा रात्रि 11:20 बजे उदय होगा।

अहोई माता कौन हैं?


अहोई माता को देवी पार्वती का एक रूप माना जाता है। उनकी पूजा बच्चों की रक्षा करने वाली और उन्हें दीर्घायु प्रदान करने वाली देवी के रूप में की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि उनकी पूजा करने से महिला की कुंडली में अनुकूल ग्रह स्थितियां बनती हैं जो नि:संतानता, गर्भपात, बच्चों की अकाल मृत्यु जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करती हैं। इस व्रत में माता पर्वती की पूजा की जाती है।

अहोई अष्टमी व्रत विधि

  • व्रत के दिन सुबह स्नान व्रत का संकल्प लें। अहोई माता से प्रार्थना करें, ‘हे अहोई माता, मैं अपनी संतान की लम्बी उम्र और सुखमय जीवन के लिए अहोई व्रत कर रही हूं। मेरी संतान को दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी रखें।’
  • अहोई अष्टमी की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर अहोई माता, स्याहु और उनके सात पुत्रों का चित्र भी बनाया जाता है। शाम को इन चित्रों की पूजा की जाती है।
  • अहोई माता के सामने चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़े रखते हैं और सुबह दिया रखकर कहानी कही जाती है। कहानी कहते समय हाथ में चावल लिए जाते हैं। ये चावज साड़ी के आंचल या सूट के दुप्पटे में बांध लेते हैं।
  • सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं। यह करवा, करवा चौथ में इस्तेमाल हुआ करवा होता है। दिवाली के दिन इसके पानी का पूरे घर में भी छिड़काव किया जाता है। लोटे के पानी से शाम को चावल के साथ तारों को आर्ध किया जाता है।
  • अहोई माता को चौदह पूरी और आठ पुओं का भोग लगाया जाता है और बयाना निकाला जाता है। बायने में चौदह पूरी या मठरी या काजू होते हैं।
  • अहोई अष्टमी की पूजा में चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं। स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है।
  • पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुनते हैं। पूजा के पश्चात अपने से बड़ों के पैर छूएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

Rama Ekadashi 2025 Date: रमा एकादशी पर बन रहे हैं दो शुभ योग, जानें किस दिन किया जाएगा व्रत और पूजा विधि

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।