Chhath Pooja Sandhya Arghya Today: शनिवार से शुरू हुई छठ पूजा का आज मुख्य पर्व है। आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन छठ पूजा करने वाले सभी व्रती अस्माचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं। व्रती आज छठ माता और सूर्य देवे से अपने परिवार और संतान की सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत की कामना करते हैं। लोकआस्था का महापर्व छठ अटूट आस्था का पर्व होने के साथ ही और प्रकृति के प्रति आभार जताने का भी पर्व है।
छठ के व्रत को हिंदू धर्म के सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इसमें छठ व्रती 36 घंटों का निर्जला उपवास करते हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत और छठ महापर्व का समापन करते हैं। इस व्रत की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन नहाय-खाय से होती है और दूसरे दिन खरना होता है। खरना में छठ व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास करते हैं और शाम के समय बिना नमक का एक समय का भोजन करते हैं। खरना प्रसाद का छठ पूजा में बहुत महत्व माना जाता है। इसमें गुड़ की खीर और पूड़ी बनाई जाती है। इसी आहार के आधार पर व्रती अगले 36 घंटे का निर्जला उपवास करते हैं। आज सूर्य षष्ठी के दिन सूर्य देव को पहला और संध्या अर्घ्य दिया जाएगा। आइए जानें आज का शुभ मुहूर्त, पूजा विध और मंत्र क्या हैं ?
छठ पूजा का पहला अर्घ्य : डूबते सूरज को अर्घ्य
कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा के तीसरे दिन मुख्य पर्व होता है। इस दिन शाम के समय अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसमें व्रती 36 घंटे के निर्जला उपवास में रहते हैं। इस दौरान सूर्य और षष्ठी माता के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। इसके अगले दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होता है।
छठ महापर्व आस्था और आध्यात्म का अनूठा संगम है। इसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य देना जहां जीवन के उतार-चढ़ाव को समझने का प्रतीक माना जाता है। यह अनुष्ठान प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका माना जाता है। वहीं, एक अन्य मान्यता के अनुसार सूर्य भगवान को संध्या अर्घ्य देने से व्यक्ति को अच्छी सेहत और समृद्धि की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। यह पूजा संतान की समृद्धि का भी प्रतीक है। इस दौरान संतान की लंबी उम्र और दीर्घायु की कामना की जाती है।
27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य टाइम – शाम 4:50 मिनट से 5:41 मिनट तक
छठ पूजा में संध्या अर्घ्य देने की विधि
छठ पूजा में सूर्य देव को संध्या अर्घ्य बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जब व्रती कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दौरान बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, नारियल, गन्ना आदि प्रसाद सजाते हैं और सूर्य भगवान को अर्पित करते हैं।
आज शाम सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
सूर्य को अर्घ्य देने का सबसे प्रचलित मंत्र “ॐ घृणि सूर्याय नमः” है, जिसे अर्घ्य देते समय लगातार दोहराना चाहिए।