Dhanteras Puja Vidhi: धनतेरस पांच दिनों के दिवाली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। यह केवल सोना-चांदी खरीदने का उत्सव नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा आध्यात्मिक अर्थ भी है। यह त्योहार बताता है कि सच्ची पूंजी सिर्फ रुपया-पैसा या सोना-चांदी नहीं है, बल्कि अच्छी सेहत भी बहुत बड़ा धन है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला धनतेरस इस साल 18 अक्टूबर, यानी आज मनाया जा रहा है। इस दिन, देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और समृद्धि के साथ अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
पौराणिक कथाओं में धनतेरस को उस दिन के रूप में बताया गया है जिस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत से भरा कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे। धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोग धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी को अपने घर में आमंत्रित करते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, धनतेरस पर दीये जलाने से अधर्म दूर होता है और आने वाले वर्ष के लिए सकारात्मक ऊर्जा आती है।
त्रयोदशी तिथि आरंभ : 18 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:18 बजे
आज ही होती है सोने-चांदी की सबसे ज्यादा बिक्री
ऑल इंडिया ज्वैलर्स फेडरेशन द्वारा 2023 में किए गए एक सर्वे से पता चला है कि 65% से ज्यादा सोने-चांदी की बिक्री धनतेरस के दौरान होती है। यह बताता है कि इस दिन खरीदारी का लोगों के लिए कितना महत्व है।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:17 बजे से 8:20 बजे के बीच है। अनुष्ठान करने का सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल है, जो सूर्यास्त के दो घंटे बाद का समय होता है।
धनतेरस पूजा मुहूर्त : शाम 7:17 से रात 8:20 बजे तक
प्रदोष काल : शाम 5:48 से रात 8:20 बजे तक
वृषभ काल : शाम 7:16 से रात 9:11 बजे तक
अच्छे से घर की सफाई करें, क्योंकि माना जाता है कि देवी लक्ष्मी वहीं निवास करती हैं जहां पवित्रता और अनुशासन होता है। प्रवेश द्वार को रंगोली से सजाएं और दहलीज पर दीये रखें। द्वार पर देवी लक्ष्मी के पदचिह्न बनाएं या रखें। साफ और पारंपरिक परिधान पहनें।
देवी लक्ष्मी के लिए : ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
भगवान गणेश के लिए : ॐ गं गणपतये नमः
भगवान धन्वंतरि के लिए : ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय सर्व भय विनाशाय सर्व रोग निवारणाय नमः