Diwali 2025 Calender: दीपावली का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख और बड़े त्योहारों में से एक है। इसे पूरी दुनिया में बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इसमें घरों को दीयों, मोमबत्तियों और रंगोली से सजाया जाता है, पूरा परिवार मिलकर मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा करता है। परिवार और पड़ोसियों को उपहार देते हैं। सभी एक साथ मिलकर त्योहार का आनंद लेते हैं। दिवाली पांच दिनों का त्योहार है, जिसकी शुरुआत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन तेरस या धन त्रयोदशी से होती है। इसके बाद नरक चतुर्दशी, दिवाली, अन्नकूट और भाईदूज के पर्व मनाए जाते हैं।
लेकिन, इस साल त्योहार की तारीखों को लेकर भक्तों के बीच कुछ भ्रम है। लोगों को समझ नहीं पा रहे हैं कि दिवाली 20 अक्टूबर को मनेगी या 21 अक्टूबर को। हिंदू पंचांग के अनुसार, दिवाली कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष, छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जबकि मुख्य दिवाली और लक्ष्मी पूजा 21 अक्टूबर, मंगलवार को प्रदोष काल में मनाई जाएगी जब अमावस्या प्रबल होगी।
दिवाली के पांच दिनों के त्योहार का कैलेंडर
दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है और हर पर्व की अलग विधि और महत्व है। आइए जानें इस साल दीवाली के पांच दिवसीय पर्व में कौन सा त्योहार किस दिन होगा?
धनतेरस से शुरू होता है दिवाली का त्योहार
धनतेरस पर विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और देवता कुबेर की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन देवताओं की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, ऐश्वर्य, धन, स्वास्थ्य और खुशहाली में वृद्धि होती है।
नरकासुर के वध से जुड़ी है त्योहार की परंपरा
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान श्री कृष्ण ने सत्यभामा की मदद से नरकासुर का वध किया था। इसी की खुशी में लोगों ने अपने घरों में दीपक जलाए और त्योहार मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस तिथि को छोटी दीवाली के रूप में मनाया जाता है।
दीपावली को भगवान राम वापस लौटे थे अयोध्या
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दीपावली का त्योहार भगवान श्री राम के अयोध्या वापस लौटने की खुशी में मनाया जाता है। भगवान राम, माता सीता और लक्षमण जी 14 साल का वनवास काटने और रावण पर विजय पाने के बाद वापस अयोध्या आए थे। इसी खुशी में नगरवासियों ने दीपों से पूरी अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया था और खुशियां मनाईं थीं।