Durga Puja 2025: शारदीय नवरात्र का पर्व शुरू हो चुका है। ये पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। ये त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन अलग-अलग हिस्सों में इसका स्वरूप अलग होता है। कहीं गरबा और डांडिया होता है, तो कहीं माता की चौकी और जागरण। देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाते हैं। दुर्गा पूजा की सबसे खास बात ये होती है कि इसका आरंभ अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नहीं बल्कि षष्ठी तिथि से होता है। दरअसल, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में माना जाता है कि मां दुर्गा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में अपने बच्चों के साथ कैलाश से धरती पर अपने मायके आती हैं। ये पर्व एक बेटी के अपने मायके आने का माना जाता है। आइए जानें इस पर्व से क्या मान्यताएं जुड़ी हैं और इस साल इसकी शुरुआत किस दिन से हो रही है।
दुर्गा पूजा पांच दिनों का पर्व है और इसमें पंचमी तिथि पर मां को बिल्व निमंत्रण भेजकर आमंत्रित किया जाता है। दुर्गा पूजा में कलश स्थापना प्रतिपदा के दिन नहीं पंचमी तिथि पर होती है। इसके बाद से दुर्गा पूजा का पर्व शुरू हो जाता है।
षष्ठी तिथि के दिन कल्पारंभ, अकाल बोधन, आमंत्रण और अधिवास होता है। वहीं, सप्तमी तिथि पर कोलाबौ होता है और अष्टमी तिथि के दिन 12 बजे भोग आरती होती है। संधि पूजा की जाती ह। नवमी के दिन महानवमी, दुर्गा बलिदान और नवमी होम होता है। दशमी इस पर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन सिंदूर खेला की रस्म की जाती है।
महिलाएं इस दिन मां दुर्गा के चरणों में जो सिंदूर अर्पित करती हैं उसी को पूरी साल लगाती हैं। इसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और इसका उत्सव मनाती हैं, जिसे सिंदूर खेला कहते हैं। इसके बाद मां को विदा कर विसर्जित कर दिया जाता है।
दुर्गा पूजा 2025 की शुरुआत 28 सितंबर 2025, रविवार से हो रही है। इसमें पूजा के मुख्य दिन सप्तमी, अष्टमी, नवमी, और विजयदशमी 28 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 के बीच होंगे।
पंचमी को भेजा जाएगा निमंत्रण
27 सितम्बर : पंचमी तिथि के दिन बिल्व निमंत्रण
28 सितंबर : षष्ठी तिथि से शुरू होगी दुर्गापूजा
29 सितंबर : महा सप्तमी मनाई जाएगी
30 सितंबर : महा अष्टमी को होगी संधि पूजा
1 अक्टूबर : महानवमी, नवमी होम को होगा
2 अक्टूबर : दुर्गाविसर्जन, विजयादशमी, सिन्दूर खेला