सनातन धर्म में बिना कारण के कुछ भी नहीं होता है। कोई अवतार अकारण नहीं हुआ, कोई घटना बेवजह नहीं होती और हमारे आसपास हो रही हर हलचल का ब्रह्मांड से जुड़ाव होता है। यहां तक कि कृष्ण का देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म भी यूं ही नहीं हुआ था। यह एक दैवीय संरचना थी, जो कई परतों में नाटकीयता को अपने भीतर समेटे, कर्म और ईश्वर के न्याय का प्रत्यक्ष प्रमाण थी। मगर आठवां ही क्यों? पहला क्यों नहीं, जिससे छह अबोध, नन्हे शिशुओं को असमय मौत से बचाया जा सकता? या सबसे अंत में आते जब कंस का आतंक खत्म हो जाता। इसका जवाब भावनात्मक न हो कर धार्मिक है।