Margashirsha Amavasya 2025: अगहन की अमावस्या में करें पितृ शांति के उपाय, जानें तारीख, पूजा विधि और मुहूर्त

Margashirsha Amavasya 2025: अगहन की अमवस्या की तिथि पितृ शांति के लिए बहुत अहम मानी जाती है। इस दिन पूजा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। आइए जानें इस माह की अमावस्या तिथि कब होगी और पूजा का शुभ मुहूर्त कब होगा

अपडेटेड Nov 07, 2025 पर 7:00 AM
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अगहन मास की अमावस्या के दिन पितरों के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

Margashirsha Amavasya 2025: हर माह की अमावस्या तिथि को पितृ शांति के लिए बहुत अहम माना जाता है। इस दिन पितरों के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जो पितरों के देव हैं। अगहन मास की अमावस्या का इस अनुष्ठान में बहुत महत्व है। इस दिन व्रत और दान करने से सुख-समृद्धि और शांति आती है। साथ ही, पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। आइए जानें मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि कब होगी और इस दिन पितृ शांति के लिए क्या उपाय करने चाहिए।

20 नवंबर को है अमावस्या

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या की शुरुआत 19 नवंबर को सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 20 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर होगा। ऐसे में 20 नवंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी।

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 38 मिनट पर

सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 34 मिनट पर


पूजा के मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 53 मिनट से 05 बजकर 45 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक

पितृ मंत्र

ॐ पितृ देवतायै नम:

ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।

ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च

नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • देसी घी का दीपक जलाकर भगवन विष्णु की पूजा-अर्चना करें।
  • पितरों का पिंडदान और तर्पण करें।
  • मंत्रों का जप और पितृ चालीसा का पाठ करें।
  • कुत्ते, गाय, चींटियों के लिए दाना डालें।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रभु से प्रार्थना करें।
  • मंदिर या गरीब लोगों में अन्न-धन समेत आदि चीजों का दान करें।

इन बातों का रखें ध्यान

  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन किसी से वाद-विवाद न करें।
  • किसी के बारे में गलत न सोचें।
  • तामसिक भोजन का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
  • किसी भी शुभ काम की शुरुआत न करें।
  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पूर्वजों आत्मा की शांति प्राप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करें।
  • बाल और नाखून न काटें।
  • पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाकर पूजा-अर्चना करें और 5 या 7 बार परिक्रमा लगाएं।

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