Margashirsha Purnima 2025: साल की आखिरी पूर्णिमा क्यों मानी जाती है खास? जानिए इसका महत्व और इस दिन क्या करें और क्या नहीं?

Margashirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा साल की आखिरी पूर्णिमा होती है। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा की जाती है। यह पूर्णिमा हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। आइए जानें इसकी तारीख और इस दिन क्या करें और क्या नहीं

अपडेटेड Dec 03, 2025 पर 7:00 AM
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि में किए गए धार्मिक कर्मों का प्रभाव बहुत गहरा होता है।

Margashirsha Purnima 2025: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष मास को बहुत पवित्र माना जाता है। धर्म शास्त्रों में इसे भगवान श्री कृष्ण का प्रिय माह बताया गया है। इसलिए इसमें भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। इस माह का समापन मार्गशीर्ष पूर्णिमा से होता है। इसमें माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा की जाती है। कहीं-कहीं इस दिन मां अन्नपूर्णा और सूर्य देव की पूजा का विधान भी बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष मास में की गई पूजा, व्रत और दान का फल अन्य मासों की तुलना में कई गुना अधिक मिलता है। यही कारण है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा को सबसे शुभ और मंगलकारी तिथि माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और जप करने से कई गुना अधिक फल मिलता है, जिससे मानसिक शांति, घर परिवार में स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इसे भक्ति, दान और आध्यात्मिक उन्नति का विशेष अवसर भी माना गया है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तिथि

पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 दिसंबर की प्रातः 08:38 बजे से होगी और इसका समापन 5 दिसंबर की प्रातः 04:43 बजे होगा। यह दिन विशेष रूप से मां अन्नपूर्णा, भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अन्नदान, वस्त्रदान और जरूरतमंदों को भोजन कराना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन घर के मुख्य स्थानों पर दीपक जलाना, तुलसी पूजन और विशेष मंत्रों का जाप करना शुभ फल देता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि में किए गए धार्मिक कर्मों का प्रभाव बहुत गहरा होता है। यह केवल व्रत का अवसर नहीं बल्कि जीवन में स्थायी संतुलन, आशीर्वाद और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने का श्रेष्ठ समय है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें ये


  • गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान
  • घर में श्री हरि, मां अन्नपूर्णा और सूर्य देव की विशेष पूजा
  • दीपदान, अन्नदान, गौदान या जरूरतमंदों की सेवा
  • घर में सत्संग, भजन, कथा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ
  • ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना

ये करने से बचें

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