Mokshada Ekadashi 2025: दिसंबर में होगा मोक्षदा एकादशी का व्रत, जानें तारीख, पूजा विधि और मुहूर्त

Mokshada Ekadashi 2025: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत किया जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का बहुत महत्व है। इस साल ये एकादशी व्रत दिसंबर के पहले दिन यानी 01 तारीख को किया जाएगा। आइए जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

अपडेटेड Nov 15, 2025 पर 7:00 PM
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इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 01 दिसंबर को होगा।

Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को श्री हरि की कृपा पाने का सबसे सरल मार्ग मानना होगा। यही वजह है कि हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है। एक हिंदू वर्ष में 24 एकादशी तिथियां आती हैं, यानी प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी को ये व्रत किया जाता है। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 01 दिसंबर को होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने वाले भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उन्हें बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। आइए जानें इस दिन पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में।

01 दिसंबर को होगा मोक्षदा एकादशी का व्रत

पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की 30 नवंबर को रात 9 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 01 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 01 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 01 दिसंबर को किया जाएगा।


पूजा विधि

  • मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें।
  • साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  • घर के मंदिर में दीप जलाएं।
  • एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर रखें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें।
  • श्री हरि को पीले वस्त्र अर्पित करें।
  • उन्हें रोली और अक्षत का तिलक लगाएं।
  • फिर पीला भोग अर्पित करें।
  • एकादशी व्रत की कथा सुनें।
  • विष्णु सहस्रनाम मंत्र का पाठ करें।
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

मोक्षदा एकादशी के नाम में ही मोक्ष की बात है। विष्णु पुराण के अनुसार, स्वंय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था मोक्षदा एकादशी का व्रत बैकुंठ धाम में स्थान दिलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति के भी पाप नष्ट होते हैं और वह मोक्ष प्राप्त करता है। इतना ही नहीं इस व्रत को करने वालों के पूर्वज भी मोक्ष को प्राप्त करते हैं।

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