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Pradosh Kaal Puja on Diwali: प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का है विशेष महत्व, जानें दिवाली की रात पूजा का शुभ मुहूर्त

Pradosh Kaal Puja on Diwali: दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में करना बहुत शुभ माना जाता है। इस बार 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर 3:44 बजे से शुरू हो रही है। चूंकि 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल में रहेगी, इसलिए इसी दिन लक्ष्मी पूजन किया जाएगा।

अपडेटेड Oct 16, 2025 पर 12:04 AM
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शास्त्रों में प्रदोष काल को पूरे दिन का स्वर्णिम समय माना गया है।

Pradosh Kaal Puja on Diwali: दिवाली का त्योहार हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पर्व है। इस पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत धनत्रयोदशी से होती है और समापन भाई दूज के साथ होता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। इस साल ये त्योहार 20 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। दिवाली के दिन लोग मां लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए अपने घरों को दीयों और रंगोली से सजाते हैं।

इस दिन लोग अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को तोहफे देते हैं और सब मिलकर त्योहार मनाते हैं। दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में करना बहुत शुभ माना जाता है। इस बार 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर 3:44 बजे से शुरू हो रही है। ये 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे समाप्त होगी। चूंकि 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल में रहेगी, इसलिए इसी दिन लक्ष्मी पूजन किया जाएगा।

कब से कब तक होता है प्रदोष काल?

हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे का समय प्रदोष काल कहलाता है। यह समय दिन और रात के संधि काल के समान होता है। माना जाता है कि इस समय वातावरण में दिव्य ऊर्जा का प्रवाह बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस काल में की गई पूजा अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है।

क्यों महत्वपूर्ण है प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा?

लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करने का विशेष महत्व है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी समय मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस समय श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करता है, उसके घर में धन, वैभव और सुख-समृद्धि स्थायी रूप से वास करते हैं। इसलिए दिवाली के दिन प्रदोष काल में पूजा का विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है।


प्रदोष काल का महत्व

शास्त्रों में प्रदोष काल को पूरे दिन का स्वर्णिम समय माना गया है। दिवाली की रात लक्ष्मी जी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर इस समय धरती पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों के घर जाती हैं। इस समय उनकी कृपा सबसे अधिक होती है।

धर्म ग्रंथों में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन और दीपदान का विधान प्रदोष काल में ही बताया गया है। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को प्रदोष काल और निशीथ काल दोनों में व्याप्त रहेगी। इसलिए इसी दिन दिवाली मनाना और लक्ष्मी पूजन करना अत्यंत शुभ है।

20 अक्टूबर को ये है लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल : शाम 05:46 बजे से रात 08:18 बजे तक

लक्ष्मी पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त : शाम 07:08 बजे से रात 08:18 बजे तक

21 अक्टूबर को भी है अमावस्या

21 अक्टूबर को भी अमावस्या तिथि मानी जाएगी। इस दिन गंगा स्नान की परंपरा रही है। साथ ही, इस दिन शनिदेव की पूजा भी बहुत फलदायी मानी जाती है। शनिदोष निवारण के लिए पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें, काले तिल का दान करें, वस्त्र और धन का दान करें। कार्तिक अमावस्या कि तिथि स्नान और दान की अमावस्या भी होती है।

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