1 अक्टूबर से बंद हो जाएगी यूपीआई की ये सर्विस, NPCI ने लिया बड़ा फैसला

P2P Collect Request: NPCI द्वारा 1 अक्टूबर 2025 से UPI ऐप्स पर एक बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने वाला फीचर पीयर-टू-पीयर (P2P) "कलेक्ट रिक्वेस्ट" हटा दिया जाएगा। NPCI का कहना है कि इस फीचर का इस्तेमाल धोखेबाज बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। ऐसे में इसे बंद करना जरूरी हो गया है ताकि financial fraud पर लगाम लग सके।

अपडेटेड Aug 15, 2025 पर 1:20 PM
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1 अक्टूबर से बंद हो जाएगी यूपीआई की ये सर्विस, NPCI ने लिया बड़ा फैसला

P2P Collect Request: क्या आप भी UPI (Unified Payment Interface) का इस्तेमाल लेनदेन के लिए करते हैं, अगर हां तो सावधान हो जाइए क्योंकि NPCI (National Payments Corporation of India) ने एक ऐसा बड़ा कदम उठाया है, जो लाखों यूजर्स की पेमेंट हैबिट्स को बदल देगा। दरअसल, NPCI द्वारा 1 अक्टूबर 2025 से UPI ऐप्स पर एक बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने वाला फीचर पीयर-टू-पीयर (P2P) "कलेक्ट रिक्वेस्ट" हटा दिया जाएगा। NPCI का कहना है कि इस फीचर का इस्तेमाल धोखेबाज बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। ऐसे में इसे बंद करना जरूरी हो गया है ताकि financial fraud पर लगाम लग सके।

बता दें कि 'कलेक्शन रिक्वेस्ट' या 'पुल ट्रांजैक्शन' सुविधा यूजर्स को UPI के माध्यम से किसी अन्य ग्राहक से पैसे का रिक्वेस्ट करने की अनुमति देती है। धोखेबाज अक्सर इस सुविधा का दुरुपयोग यूजर्स को पेमेंट ऑथराइज करने के लिए करते हैं, इसलिए यह रोक लगाई गई है। हालांकि, मर्चेंट्स 1 अक्टूबर के बाद भी कलेक्शन रिक्वेस्ट सबमिट करना जारी रख सकते हैं।

क्या है P2P कलेक्ट रिक्वेस्ट फीचर?


इस फीचर से कोई भी यूजर किसी दूसरे UPI यूजर को पेमेंट रिक्वेस्ट भेज सकता है, जिसे स्वीकार करने पर सामने वाला अपना UPI पिन डालकर पैसे भेज देता है। शुरुआत में यह फीचर पेमेंट्स को आसान बनाने के लिए आया था, लेकिन वक्त के साथ यह स्कैमर्स का पसंदीदा हथियार बन गया। इसके बाद NPCI के कहा है कि 1 अक्टूबर 2025 से UPI P2P कलेक्ट को UPI में प्रॉसेस्ड करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अभी क्या है नियम?

नियम यह है कि सभी सदस्य बैंकों और UPI ऐप्स को UPI P2P कलेक्ट लेनदेन शुरू करने, रूट करने या प्रोसेस करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। वर्तमान में, एक UPI यूजर किसी अन्य व्यक्ति से एक ट्रांजैक्शन में अधिकतम 2,000 रुपये तक कलेक्ट कर सकता है।

कितना है पुल ट्रांजैक्शन का हिस्सा ?

उद्योग के जानकारों का कहना है कि यह निर्णय बहुत मुश्किल नहीं है क्योंकि UPI के कुल लेनदेनों में से "पुल" लेनदेन का हिस्सा सिर्फ 3% ही है। इसका मतलब है कि इस बदलाव से ज्यादातर UPI यूजर्स को बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होगी। यह कदम एक सुरक्षित डिजिटल भुगतान प्रणाली बनाने की दिशा में एक अहम पहल है।

NPCI ने सभी बैंकों और फिनटेक कंपनियों को दी जानकारी

इस फैसले के बाद, व्यापारियों के लिए भी 'पुल' लेनदेन के लिए KYC नियमों का पालन करना जरूरी हो सकता है, जिससे धोखाधड़ी पर और भी ज़्यादा लगाम लग सकेगी। NPCI ने इस बदलाव के बारे में सभी बैंकों और फिनटेक कंपनियों को जानकारी भेज दी है ताकि वे इसके लिए तैयार हो सकें। इससे UPI का इस्तेमाल और भी सुरक्षित हो जाएगा और ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा।

पिछले तीन साल में कितना फ्रॉड?

ये हैं यूपीआई फ्रॉड के आंकड़े

2022-23 – 7.25 लाख मामलों में कुल 573 करोड़ रुपये के फ्रॉड हुए।

2023-24 – 13.42 लाख मामलों में कुल 1087 करोड़ रुपये के फ्रॉड।

2024-25 – 6.32 लाख मामलों में कुल 485 करोड़ रुपये के फ्रॉड।

वहीं जब यूपीआई ट्रांजेक्शन में फ्रॉड रोकने और लेनदेन को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि इन मामलों को रोकने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। NPCI, RBI और सरकार द्वारा मिलकर सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

2017 से लेनदेन का आंकड़ा कितना बढ़ा?

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि 2017-18 में जहां यूपीआई के माध्यम से केवल 92 करोड़ लेनदेन हुए थे, वहीं 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 18,587 करोड़ हो गया है। यह बढ़ोतरी 114% की CAGR (compound annual growth rate) को दर्शाती है।

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Ashwani Kumar Srivastava

Ashwani Kumar Srivastava

First Published: Aug 15, 2025 1:13 PM

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