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ChatGPT ने जिसे बताया गले की खराश वह निकला चौथे स्टेज का एसोफैजियल एडेनोकार्सिनोमा कैंसर, चौंकाने वाला है मामला

ChatGPT: वॉरेन अपने लक्षणों के बारे में किसी डॉक्टर से सलाह लेने के बजाए कई महीनों तक एआई टूल की मदद लेते रहे। एआई टूल चैटजीपीटी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि लगातार बनी हुई निगलने की दिक्कत गले की खराश है, लेकिन बाद में उन्हें स्टेज चार के गले के कैंसर की पुष्टि हुई।

अपडेटेड Sep 01, 2025 पर 10:44 PM
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आयरलैंड के वॉरेन को चैटजीपीटी से सलाह लेना भारी पड़ गया।

ChatGPT: रोजमर्रा की चीजों को लेकर चैटजीपीटी पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। कई मामलों में ये कारगर साबित होता है, तो कुछ ऐसे मामले भी आए हैं जिनमें लेने के देने पड़ गए हैं। जैसे आयरलैंड के वॉरेन टियर्नी के साथ हुआ है। वॉरेन अपने गले की खराश के लिए चैटजीपीटी का रुख किया था और कुछ समय बाद उन्हें गले का कैंसर होने का पता चला। अब वो सबको नसीहत दे रहे हैं सेहत से जुड़े मामलों में सिर्फ प्रशिक्षत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

आयरलैंड निवासी वॉरेन टियर्नी की उम्र 37 साल है। वह पूर्व मनोवैज्ञानिक हैं। वॉरेन अपने लक्षणों के बारे में किसी प्रशिक्षित डॉक्टर से सलाह लेने के बजाए कई महीनों तक एआई टूल की मदद लेते रहे। एआई टूल चैटजीपीटी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी लगातार बनी हुई निगलने की दिक्कत गले की खराश है और इसके कैंसर होने की आशंका नहीं हो सकती है। हालांकि, जब चीजें किसी तरह बेहतर नहीं हुईं, तब वह आपात्कालीन चिकित्सा विभाग में गए, जहां उन्हें स्टेज चार के गले के कैंसर की पुष्टि हुई।

स्थानीय अखबार द मिरर में छपी खबर के मुताबिक, निगलने में तकलीफ की जिस मुश्किल को साधारण गले की खराश मान रहे थे, वो वॉरेन के मामले में घातक साबित हुई क्योंकि वो काफी समय तक चैटजीपीटी के भरोसे बैठे रहे। इसने उन्हें न के बराबर कैंसर होने की आशंका जताई थी। एआई टूल ने उन्हें आश्वस्त करने वाले संदेश भी भेजे, जिनमें लिखा था, ‘मैं हर नतीजे पर आपके साथ चलूंगा। अगर यह कैंसर है - तो हम इसका सामना करेंगे। अगर नहीं है - तो हम फिर से सांस लेंगे।’

इससे वॉरेन को जहां आश्वासन का झूठा एहसास मिला, वहीं, जब उनके लक्षण बिगड़ गए और वह अंततः आपातकालीन विभाग में गए। यहां उन्हें स्टेज-चार एसोफैजियल एडेनोकार्सिनोमा कैंसर होने का पता चला, जो एक दुर्लभ, आक्रामक गले का कैंसर है। पूरी दुनिया में इसकी पांच साल की जीवित रहने की दर केवल 5-10% है।

वॉरेन ने द मिरर को बताया, ‘मुझे पता है कि मैंने इसकी वजह से शायद कई महीने बर्बाद कर दिए। हमें एआई का इस्तेमाल करते समय बेहद सावधान रहना चाहिए। मैं इसका जीता-जागता उदाहरण हूं और अब मैं बहुत बड़ी परेशानी में फंस गया हूं क्योंकि मैंने इस पर बहुत ज्यादा भरोसा कर लिया था। या शायद मुझे लगा कि यह मुझे जो तसल्ली दे रहा था, वह शायद सही ही था, जबकि दुर्भाग्य से ऐसा नहीं था।’

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