Rock Python: जहर नहीं, ताकत से लेता है जान! जानिए रॉक पाइथन की खासियत

Rock Python: छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में इंसानी आबादी के करीब एक विशालकाय रॉक पाइथन दिखना मानव-वन्यजीव संघर्ष की एक और मिसाल बन गया। करीब 10 फीट लंबे इस अजगर को देखकर आसपास के लोग हैरान रह गए और भारी भीड़ जमा हो गई। यह घटना तेजी से खत्म होते जंगलों की चुपचाप दी जा रही चेतावनी जैसी है

अपडेटेड Jun 29, 2025 पर 9:42 AM
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Rock Python: भारतीय रॉक पाइथन देश के कई हिस्सों में पाया जाता है

जैसे-जैसे इंसानी गतिविधियों का दायरा जंगलों तक बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे वन्यजीवों का इंसानी इलाकों में दिखाई देना अब आम होता जा रहा है। हाल ही में पूर्वोत्तर भारत के एक गांव में एक विशाल भारतीय रॉक पाइथन को देखकर हड़कंप मच गया। ये अजगर गांव के एक पेड़ पर लिपटा हुआ था। स्थानीय लोगों ने तुरंत सूझबूझ दिखाते हुए वन विभाग को सूचना दी, जिसके बाद रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची और अजगर को सुरक्षित तरीके से पकड़ लिया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक ये भारतीय रॉक पाइथन 20 फीट तक लंबा और लगभग 90 किलो तक भारी हो सकता है।

हालांकि यह सांप विषैला नहीं होता, लेकिन अपनी ताकत के लिए जाना जाता है। ये घटना केवल एक अजगर मिलने की नहीं, बल्कि इस बात का संकेत है कि इंसान और वन्यजीवों के बीच की दूरी अब तेजी से घट रही है, और हमें सतर्क रहने की जरूरत है।

नॉन-वेनमस, लेकिन बेहद ताकतवर


भारतीय रॉक पाइथन (Python molurus) जहरीला नहीं होता, लेकिन इसकी ताकत जबरदस्त होती है। ये अपने शिकार को जहर से नहीं बल्कि शरीर से कसकर दम घोंटकर मारता है। ये सांप धीमी गति से चलते हैं, लेकिन शिकार करते समय इनकी फुर्ती और पकड़ इतनी मजबूत होती है कि चूहे, खरगोश, पक्षी, छोटे हिरण और यहां तक कि पालतू जानवर भी इसके चंगुल से नहीं बच पाते।

लंबाई, रंग और रहन-सहन

इस प्रजाति की औसतन लंबाई 8 से 10 फीट होती है, हालांकि कुछ पाइथन 15 से 20 फीट तक भी हो सकते हैं। इनके शरीर पर भूरे और स्लेटी रंग की धारियां होती हैं जो इन्हें प्राकृतिक माहौल में छिपने में मदद करती हैं। ये सांप विशेष रूप से गीले इलाकों जैसे दलदल, झीलों और नदियों के आसपास रहना पसंद करता है।

तेजी से कम हो रहे प्राकृतिक आवास

पाइथन का प्राकृतिक घर घने जंगल, जल स्रोत और दलदली इलाके होते हैं, लेकिन शहरीकरण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनके आवास सिकुड़ते जा रहे हैं। यही कारण है कि अब ये सांप गांवों और शहरों के किनारों पर दिखाई देने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इंसान और सांप के बीच की टकराहट की एक बड़ी वजह पर्यावरण में हो रहे बदलाव हैं।

भारत में पाइथन की उपस्थिति

भारतीय रॉक पाइथन देश के कई हिस्सों में पाया जाता है—उत्तर भारत, पूर्वी राज्य (बंगाल, झारखंड, ओडिशा), पश्चिमी घाट (केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक), मध्य भारत, असम और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह। इसके अलावा ये नेपाल, भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका में भी देखा गया है।

पाइथन से डरें नहीं, सतर्क रहें

वन विभाग और विशेषज्ञों की अपील है कि ऐसे अजगर आमतौर पर इंसानों पर हमला नहीं करते और बेहद शर्मीले होते हैं। ये केवल तभी आक्रामक हो सकते हैं जब खुद को खतरे में महसूस करें। लोगों से कहा गया है कि पाइथन दिखे तो खुद कुछ न करें, बल्कि तुरंत वन विभाग को सूचित करें।

संरक्षण की जरूरत

भारतीय रॉक पाइथन अब भी कई जगहों पर सुरक्षित हैं, लेकिन तेजी से घटते आवास और पालतू जानवरों पर हमलों की खबरों के चलते इन्हें लेकर नकारात्मक धारणा बनती जा रही है। ऐसे में इनकी सही जानकारी और संरक्षण के प्रयास बेहद जरूरी हो गए हैं। ये सांप पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में अहम भूमिका निभाता है और इसका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है।

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