कॉमेडियन कुणाल कामरा ने मंगलवार को मुंबई में अपने विवादित शो के बाद मिली भारी प्रतिक्रिया के बाद एक नोट शेयर किया, जिसको उन्होंने नाम दिया- "एक कलाकार को लोकतांत्रिक तरीके से कैसे मारा जाए"। 36 साल के कॉमेडियन ने स्टेप बाय स्टेप एक-एक तरीका लिखा, जिसमें बताया गया है कि किस तरह से "राजनीतिक हथियार" व्यंग्यकारों का गला घोंट देता है, जब तक कि उनके पास दो विकल्प नहीं रह जाते:- या तो वह कठपुतली बन जाएं या चुपचाप मुंह बंद कर के बैठ जाएं।
कामरा ने X पर लिखा, "यह महज एक रणनीति नहीं है। यह एक राजनीतिक हथियार है। यह चुप कराने वाली मशीन है।" कुमाल कामरा के खिलाफ आक्रोश तब शुरू हुआ, जब उन्होंने 1997 की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'दिल तो पागल है' के लोकप्रिय गीत "भोली सी सूरत" का पैरोडी वर्जन गाया, जिसमें कथित तौर पर शिंदे को निशाना बनाया गया था।
पोस्ट में कामरा ने लिखा, एक आर्टिस्ट को कैसे मारें, स्टेप बाय स्टेप एक गाइड:
1- आक्रोश - बस इतना कि ब्रांड्स अपना काम बंद कर दें।
2- आक्रोश और बढ़ेगा- जब तक प्राइवेट और कॉर्पोरेट काम बंद नहीं हो जाते।
3- आक्रोश को और ज्याजा जोर से व्यक्त करें- ताकि बड़े वेन्यू जोखिम न लें।
4- हिंसक तरीके से आक्रोश व्यक्त करें- जब तक कि सबसे छोटे वेन्यू भी अपने दरवाजे बंद न कर लें।
5- अपने दर्शकों को सवाल पूछने के लिए बुलाएं- आर्ट को क्राइम सीन में बदल दें।
अब कलाकार के पास केवल दो रास्ते बचे हैं: अपनी आत्मा बेच दें और डॉलर की कठपुतली बन जाएं-या चुपचाप मुरझा जाएं। यह सिर्फ एक नाटक की किताब नहीं है, यह एक राजनीतिक हथियार है। चुप कराने की मशीन।
उन्होंने शिवसेना नेता के खिलाफ "गद्दार" कटाक्ष का भी इस्तेमाल किया, जिन्होंने विधायकों को साथ लेकर 2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह किया था। जैसे ही शो के क्लिप वायरल हुए, शिवसेना समर्थकों ने शो के वेन्यू- द हैबिटेट स्टूडियो में तोड़फोड़ की।