गुस्से में गाली दी? जानिए आपके लिए कितनी भारी पड़ सकती है ये सजा

गुस्से में अक्सर लोग अपशब्द बोल देते हैं, जिससे विवाद हो सकता है। भारत में गाली देना सिर्फ असभ्यता नहीं, बल्कि कानूनी अपराध भी है। खासकर सार्वजनिक जगह या किसी की प्रतिष्ठा ठेस पहुंचाने पर, शिकायत होने पर सजा हो सकती है। इसलिए अपनी भाषा पर नियंत्रण जरूरी है

अपडेटेड Aug 11, 2025 पर 12:11 PM
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गाली में जातिसूचक या भेदभावपूर्ण टिप्पणी शामिल है, तो ये मामला और भी गंभीर हो जाता है।

गुस्सा आना आम बात है, लेकिन जब गुस्से में हम अपनी जुबान पर काबू नहीं रख पाते और अपशब्द कह देते हैं, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। कई बार ये बात सामान्य विवाद तक सीमित रहती है, लेकिन कई बार इससे बड़ा झगड़ा या कानूनी मामला भी बन सकता है। खासकर जब गाली-गलौज सार्वजनिक जगहों पर हो या किसी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाए, तो कानून में इसकी सख्त पाबंदी है। भारत में गाली देना केवल असभ्यता नहीं, बल्कि अपराध भी माना जाता है।

ऐसे में अगर कोई व्यक्ति आपकी कही गई गाली से आहत होता है, तो वो आपके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है और आपको कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए गुस्से में अपनी भाषा पर संयम रखना बेहद जरूरी है ताकि आप किसी परेशानी में न फंसें।

भारत में गाली देना सिर्फ गलत नहीं, अपराध भी


भारत में कानून के मुताबिक, गाली देना केवल सामाजिक रूप से अनुचित नहीं, बल्कि एक कानूनी अपराध भी है। खासतौर पर तब, जब ये किसी पब्लिक प्लेस पर दी जाए या किसी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के इरादे से बोली जाए। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकता है और आपके खिलाफ केस बन सकता है।

बीएनएस की धारा 356

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 356 के तहत, सार्वजनिक स्थान पर अश्लील भाषा का प्रयोग करना अपराध माना जाता है। दोषी पाए जाने पर तीन महीने तक की कैद, जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है। इसका मतलब है कि अगर आप पब्लिक में किसी को गाली देते हैं, तो सीधा मामला आपके खिलाफ दर्ज हो सकता है।

जातिसूचक शब्दों पर सख्त कानून

अगर गाली में जातिसूचक या भेदभावपूर्ण टिप्पणी शामिल है, तो ये मामला और भी गंभीर हो जाता है। इस स्थिति में SC/ST Act यानी अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जाता है। इस कानून में सजा और जुर्माना, दोनों का प्रावधान है और मामला गैर-जमानती हो सकता है।

बीएनएस धारा 351

अगर किसी ने गाली देकर जानबूझकर आपको उकसाया और इसके कारण शांति भंग हुई, तो BNS धारा 351 लागू होगी। इसमें दोषी को अधिकतम दो साल की कैद, जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है। यानी सिर्फ गाली देना ही नहीं, बल्कि उससे झगड़ा भड़काने का इरादा भी अपराध है।

महिलाओं के सम्मान पर टिप्पणी की सजा

अगर गाली या अपशब्द का मकसद किसी महिला की मर्यादा भंग करना हो, तो BNS धारा 357 के तहत केस दर्ज होगा। इसमें अधिकतम एक साल की कैद, जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है। ऐसे मामलों में पुलिस तुरंत कार्रवाई कर सकती है।

गुस्से में जुबान पर रखें काबू

कानून साफ कहता है कि गाली-गलौज केवल सामाजिक तौर पर गलत नहीं, बल्कि कानूनी सजा का कारण भी है। इसलिए गुस्से में बोलने से पहले सोचें, क्योंकि एक पल की जुबान की फिसलन आपको महीनों तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर कटवा सकती है।

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First Published: Aug 11, 2025 12:11 PM

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