No Namaz On Rooftops: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने गुरुवार (27 मार्च) कहा कि मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बना दिया गया है। CNN_News18 से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को ईद या अलविदा जुमा के अवसर पर संभल में लोगों को छतों पर नमाज़ पढ़ने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है। संभल के एडिशनल एसपी श्रीश चंद्र ने गुरुवार को कहा कि पारंपरिक ढंग से नमाज अदा करने पर कोई पाबंदी नहीं है। लेकिन दुर्घटनाएं रोकने के लिए छतों पर बड़ी संख्या में एकत्रित होने पर रोक लगाई गई है।
शांति समिति की बैठक के बाद उन्होंने कहा कि 28 मार्च को अलविदा जुमा की नमाज़ और 31 मार्च को ईद की नमाज़ सड़कों पर नहीं पढ़ी जाएगी। इस बयान पर मसूद ने कहा, "सड़कें सरकार की संपत्ति हैं, इसलिए वे (नमाज) रोक सकते हैं। उन्हें सड़क पर पांच मिनट के लिए नमाज अदा करने से परेशानी है, लेकिन सड़क को पूरी रात अन्य उद्देश्यों के लिए रोका जा सकता है। लेकिन घरों की छतें आपकी संपत्ति नहीं हैं, वहां नमाज पर प्रतिबंध क्यों? आपने देश में मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बना दिया है।"
मसूद ने संभल में सरकारी अधिकारियों पर "मानसिक रूप से परेशान" होने और अपने पद की पवित्रता का सम्मान नहीं करने का भी आरोप लगाया। ईद के मौके पर बीजेपी मुसलमानों तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश में लगी हुई है। वे देश भर की मस्जिदों के जरिए 32 लाख मुस्लिम परिवारों को 'सौगात-ए-मोदी' किट बांट रहे हैं।
इस फैसले पर मसूद ने पूछा, "क्या यह सौगात (उपहार) है?" मसूद ने पूछा, "आप मुसलमानों को छतों या सड़कों पर नमाज़ पढ़ने से रोक रहे हैं। अगर कोई सौगात होनी ही है तो मुसलमानों को सुरक्षा, शिक्षा, नौकरी और वक्फ संशोधन विधेयक को रद्द करने की सौगात दीजिए। आप मुसलमानों को भिखारी क्यों बना रहे हैं? क्या मुसलमान आपसे भीख मांग रहा है।"
जुमा (शुक्रवार) अलविदा की नमाज को लेकर तैयारियों पर पत्रकारों से बात करते हुए एएसपी ने कहा कि लोग शांतिपूर्ण ढंग से नमाज अदा करें। यह सुनिश्चित करने के लिए सेक्टर और जोन के अंतर्गत पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
उन्होंने बताया कि बुधवार को शांति समिति की बैठक में कुछ लोगों द्वारा छतों पर नमाज पढ़ने का मामला उठाया गया था। अधिकारी ने कहा कि उन लोगों ने पूछा था कि क्य़ा वे आसपास की छतों पर गैर परंपरागत रूप से नमाज अदा कर सकते हैं अथवा नहीं। जिस पर यह स्पष्ट किया गया कि छतों पर एकत्र न हों, क्योंकि इससे हादसा हो सकता है।
चंद्र ने बताया कि इसी तरह, सड़क पर नमाज पढ़ने से भी दुर्घटना की आशंका को देखते हुए उन्हें वहां (सड़क पर) भी नमाज अदा करने को मना किया गया है। एएसपी ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि परंपरागत तरीके से जिन मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज अदा की जाती रही है, वहां इसे सकुशल तौर पर संपन्न कराया जाए।