Solar Eclipse 2025: साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण भी इसी महीने यानी सितंबर में होगा। इसका समय जैसे-जैसे पास आ रहा है, वैसे-वैसे इसको लेकर खगोल शास्त्रियों और इसमें दिलचस्पी लेने वालों की उत्सुकता बढ़ती जा रही है। लेकिन इसी तारीख को लेकर लोग अब भी असमंजस में हैं। भारत के लोगों में इसके यहां नजर आने को लेकर दुविधा है। इसके धामिर्क पक्ष को छोड़ दिया जाए, तब भी ये ग्रहण कई मायनों में खास है। एक तो 15 दिनों के अंतराल पर चंद्र और सूर्य ग्रहण का होना दुर्लभी है। दूसरा, सूर्य ग्रहण सितंबर विषुव या शरद विषुव के आसपास पड़ रहा है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को रविवार के दिन होगा। ये आंशिक ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा सूरज को 72% तक ढक लेगा यानी ग्रहण के दौरान पूरा अंधेरा नहीं छाएगा।
दक्षिणी गोलार्ध में दिखेगा
यह सूर्य ग्रहण धरती के दक्षिणी गोलार्ध में नजर आएगा। इसे न्यूजीलैंड, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। प्रशांत महासागर के द्वीप, ओशियानिया, फ्रेंच पोलेनीशिया और किरिबाती में इसे देखा जा सकेगा।
साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण भारतीय उप महाद्वीप यानी भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और अफगानिस्तान समेत दक्षिण और उत्तरी अमेरिका में नहीं दिखाई देगा।
आंशिक ग्रहण प्रारंभ : रात 10:59 बजे भारतीय समयानुसार
अधिकतम ग्रहण : मध्यरात्रि 1:11 बजे, 22 सितंबर भारत में
आंशिक ग्रहण समाप्त : तड़के 3:23 बजे, 22 सितंबर भारत में
सितंबर विषुव (September equinox) का संयोग
साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण सितंबर विषुव के साथ होना, इसे और भी खास बना रहा है। सितंबर विषुव के दौरान सूरज भूमध्यरेखा को पार कर दिसंबर संक्रांति तक दक्षिण में रहता है। सूरज मार्च विषुव के बाद एक बार फिर उत्तर की ओर लौटता है। यही वजह है, मार्च इक्विनॉक्स को उत्तर विषुव और सितंबर एक्विनॉक्स को दक्षिण विषुव कहते हैं।
विषुव के दौरान सूरज उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्धों पर समान रूप से चमकता है। इसी वजह से पूरे साल में सिर्फ इसी समय पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में सूरज