Solar Eclipse 2025: खगोलीय घटनाओं के लिहाज से साल 2025 में सितंबर का महीना बेहद अहम बन गया है। इसकी खास बात ये है कि इसमें 15 दिन के अंतराल पर दो ग्रहण घटित होंगे। इसमें एक पूर्ण चंद्र ग्रहण की अहम खगोलीय घटना 7 सितंबरे को हो चुकी है, जब दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चंद्रमा गहरे लाल रंग में नजर आया था। अब इसके ठीक 15 दिन बाद, आसमान में एक और दुर्लभ घटना सूर्य ग्रहण का आयोजन होगा। दो ग्रहण के बीच मात्र 15 दिन का फासला इन खगोलीय घटना में दिलचस्पी को और बढ़ा देता है। दरअसल, इस साल का पितृ पक्ष, ग्रहण के साथ शुरू और समाप्त हो रहा है। ज्योतिष दृष्टिकोण से ये बेहद महत्वपूर्ण घटना है।
21 सितंबर को आंशिक सूर्य ग्रहण
साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को होगा। इस दिन, पृथ्वी के कुछ हिस्सों में आंशिक सूर्यग्रहण होगा, जिसका अर्थ है कि चंद्रमा सूर्य के एक हिस्से को ढक लेगा। इससे आसमान में सूरज की अर्धचंद्राकार आकृति नजर आएगी। सितंबर विषुव से ठीक पहले होने की वजह से इस ग्रहण को ‘विषुव ग्रहण’ भी कहा जा रहा है।
साल में दो बार मार्च और सितंबर में, सूर्य पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर होता है। इसकी वजह से पूरी धरती पर दिन और रात की लंबाई लगभग बराबर हो जाती है।
इस ग्रहण का दीदार करने वाले लकी देश न्यूजीलैंड, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण प्रशांत के कुछ हिस्से होंगे। इन क्षेत्रों में ग्रहण सूर्योदय के समय दिखाई देगा। वहीं, डुनेडिन जैसे स्थानों में सूर्य का 72% तक भाग ढका रहेगा। इसका सबसे अच्छा नजारा अंटार्कटिका में देखने को मिल सकता है।
भारतीय उपमहाद्वीप में नहीं दिखेगा ये ग्रहण
भारत और उत्तरी गोलार्ध के ज्यादातर हिस्से में ये आंशिक सूर्य ग्रहण बिलकुल नजर नहीं आएगा। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, दक्षिण अमेरिका और उत्तरी अमेरिका जैसे देशों में इस ग्रहण का कोई भी चरण देखने को नहीं मिलेगा।
ग्रहण का समय इसके लिए जिम्मेदार
सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगभग 19:43 यूटीसी (यूनिवर्सल टाइम कोऑर्डिनेटेड) पर अपने अधिकतम बिंदु पर पहुंचेगा, और उसके तुरंत बाद समाप्त हो जाएगा। दक्षिणी क्षेत्रों में सुबह के शुरुआती घंटों में ये सूर्योदय ग्रहण दिखाई देगा। लगभग 4 घंटे चलने वाला ये ग्रहण भारतीय समयानुसार, 21 सितंबर को रात करीब 11 बजे शुरू होगा और देर रात 03.23 बजे खत्म होगा। यह सूर्य ग्रहण जब लगेगा तब भारत में रात रहेगी, इसलिए यह ग्रहण यहां दिखाई नहीं देगा।
ज्योतिष नजरिये से सूर्य ग्रहण के समय बुध कन्या राशि में होंगे जिससे बुद्धादित्य राजयोग का निर्माण होगा। यह ग्रहों का अद्भुत संयोग है। हालांकि, भारत में ये ग्रहण नजर नहीं आएगा, इसलिए इसका कोई सीधा असर या सूतक वगैरह नहीं माना जाएगा।
ज्योतिषियों का सुझाव है कि यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में होगा, इसलिए इस संयोग में जन्म लेने वालों के लिए विशेष महत्व रखता है। इनके लिए ये ग्रहण परीक्षणों और अवसरों का मिलाजुला मौका होगा।