अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, जब 38 मीटर चौड़ा एस्टेरॉएड 2025 QD8 धरती के बेहद करीब से गुजरा है। अब एक और क्षुद्र ग्रह के धरती के करीब से गुजरने की खबर है। ये एस्टेराएड 2025 QV9 है, जिसका आकार करीब 100 फीट बताया जा रहा है। खगोलशस्त्र में दिलचस्पी रखने वाले लोग और वैज्ञानिक इसे लगातार ट्रैक कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये एस्ट्ररॉएड 16,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धरती तरफ बढ़ रहा है। हालांकि, इसके भी धरती से टकराने का खतरा लगभग न के बराबर है।
नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के मुताबिक, इसका धरती से 12.5 लाख मील (करीब 20 लाख किलोमीटर) की दूरी से गुजरेगा। यह दूरी चांद और धरती की दूरी से पांच गुना अधिक है। यानी इसके धरती से टकराने की कोई आशंका नहीं है। मगर, खगोल वैज्ञानिकों के लिए ये घटना उनके अध्ययन के लिहाज से अहम है।
आता है संभावित खतरे की श्रेणी में
एस्टेरॉएड 2025 QV9 ‘एटेन समूह’ के क्षुद्रग्रहों की श्रेणी में आता है। इस श्रेणी में उन उल्कापिंडों को रखा जाता है जिनकी कक्षाएं अक्सर धरती की कक्षा को पार करती हैं। अर्थात भविष्य में कभी इनके रास्ते में हल्का सा बदलाव भी धरती के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा उन एस्टेरॉएड्स को खतरनाक श्रेणी में रखती है, जिनका आकार 85 मीटर से बड़ा हो और ये धरती से 74 लाख किलोमीटर के दायरे में आते हों। आकार के पैमाने पर 2025 QV9 खतरा है, लेकिन धरती से दूरी के मामले में ये फिलहाल खतरा नहीं है।
इसलिए जरूरी है एस्टेरॉयड्स की निगरानी
हाल ही में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था कि आने वाले समय में भारत भी एपोफिस (2029 में धरती के निकट आने वाला विशालकाय एस्टेरॉएड) जैसे एस्टेरॉएड पर अध्ययन के लिए अंतरराष्ट्रीय मिशनों में हिस्सा लेगा। साथ ही, भारत भविष्य में अपने स्पेसक्राफ्ट को एस्टेरॉएड पर उतारने की योजना पर भी काम कर रहा है।