क्या आप सोच सकते हैं कि दुनिया में एक ऐसा शहर है, जहां मरना कानूनन मना है? नॉर्वे के स्पिट्सबर्गेन द्वीपसमूह में स्थित लॉन्गईयरब्येन शहर में ये अनोखा नियम लागू है। इस नियम के पीछे अंधविश्वास नहीं, बल्कि ठोस वैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारण हैं। ये शहर उत्तरी ध्रुव के बेहद करीब होने के कारण अत्यधिक ठंड और पर्माफ्रॉस्ट जैसी समस्याओं का सामना करता है। पर्माफ्रॉस्ट वो मिट्टी है जो सालभर जमी रहती है और कभी पिघलती नहीं, जिससे शव प्राकृतिक रूप से सड़ नहीं पाते। वैज्ञानिकों ने पाया कि यदि मृत शरीर पिघलने पर बाहर आए तो इसमें मौजूद प्राचीन वायरस और बैक्टीरिया लोगों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
इसलिए गंभीर रूप से बीमार या मरते हुए व्यक्ति को तुरंत नॉर्वे के मुख्य भूभाग पर भेजा जाता है। ये नियम लगभग 70 सालों से सख्ती से पालन किया जा रहा है और इसे दुनिया भर में काफी चर्चा मिलती रही है।
शहर की चुनौतीपूर्ण जलवायु
लॉन्गईयरब्येन की आबादी लगभग 2,400 है। ये शहर उत्तरी ध्रुव के बहुत पास स्थित है, इसलिए यहां तापमान अक्सर -20°C तक गिर जाता है। इतनी भीषण ठंड की वजह से गंभीर रूप से बीमार या मरते हुए व्यक्ति को तुरंत नॉर्वे के मुख्य भूभाग पर भेजा जाता है।
मरने पर प्रतिबंध का वैज्ञानिक कारण
कब्रिस्तान बंद होने की कहानी
1950 में स्थानीय अधिकारियों ने पाया कि शहर का छोटा कब्रिस्तान काम नहीं कर रहा। 1998 में वैज्ञानिकों ने 1918 में मृत व्यक्ति के शव से इन्फ्लूएंजा वायरस के नमूने बरामद किए। इसके बाद कब्रिस्तान को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया और नियम लागू कर दिया गया कि शहर में किसी को भी दफनाया नहीं जाएगा।
बीमार होने पर क्या होता है?