गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर हर दिन भगवान गणेश को अलग-अलग भोग अर्पित करने की खास परंपरा है। इस उत्सव के दूसरे दिन बप्पा के भोग के लिए चावल की खीर बनाना बहुत शुभ माना जाता है। खीर शुद्धता, मिठास और समृद्धि का प्रतीक है, जिससे माना जाता है कि इससे भगवान की प्रसन्नता बढ़ती है और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है।
चावल की खीर बनाने के लिए आवश्यक सामग्री में दूध, चावल, चीनी, इलायची पाउडर, मेवे जैसे बादाम, काजू, किशमिश और घी होता है। सबसे पहले चावल को अच्छी तरह धोकर भिगोया जाता है। दूध को धीमी आंच पर गाढ़ा होने तक पकाया जाता है, फिर इसमें चावल, चीनी और इलायची पाउडर डाल कर पकाया जाता है जब तक खीर अच्छी तरह से गाढ़ी न हो जाए। मेवों को घी में भून कर खीर में मिलाया जाता है, जिससे खीर का स्वाद और भी बेहतरीन हो जाता है।
तैयार खीर को भोग के पात्र में रखकर भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है। इसे गरम या ठंडी दोनों तरह से भोग के रूप में लगाया जा सकता है। गणेश चतुर्थी के इस पारंपरिक भोग से भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है बल्कि परिवार में सुख-संपत्ति बढ़ने की भी मान्यता है।
गणेश चतुर्थी के दिनों में भोगों की विविधता से त्योहार का आनंद कई गुना बढ़ जाता है, और चावल की खीर एक ऐसा स्वादिष्ट और सरल विकल्प है जो हर घर में आसानी से बनाया जा सकता है। इस बार के गणेश उत्सव को खास बनाने के लिए भोग में चावल की खीर का समावेश अनिवार्य है।