Kovidara tree: राम मंदिर के ध्वज पर बना ये पेड़ क्यों है खास? जानिए इसका रहस्य

kovidara tree: कोविदार वृक्ष, जिसे कचनार भी कहा जाता है, केवल एक पेड़ नहीं है। इसके पीछे छुपा है रामराज्य का राजसी रहस्य और प्राचीन पवित्रता। अयोध्या के राम मंदिर में इसे क्यों स्थापित किया गया और इसके औषधीय व सांस्कृतिक रहस्य कितने अद्भुत हैं, आइए जानते हैं

अपडेटेड Nov 26, 2025 पर 10:26 AM
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kovidara tree: अयोध्या के राम मंदिर के शिखर पर भगवा रंग का धर्म ध्वज फहराया गया।

कोविदार वृक्ष, जिसे आमतौर पर कचनार कहा जाता है और वैज्ञानिक नाम Bauhinia variegata है, भारतीय उपमहाद्वीप का एक बेहद खूबसूरत और महत्वपूर्ण पेड़ है। ये सिर्फ अपने आकर्षक फूलों और पत्तियों के लिए ही नहीं, बल्कि धार्मिक, ऐतिहासिक और औषधीय महत्व के कारण भी प्रसिद्ध है। हिन्दू संस्कृति में इसे विशेष स्थान प्राप्त है और माना जाता है कि ये वृक्ष रामराज्य के समय से जुड़ा हुआ है। हाल ही में अयोध्या के राम मंदिर परिसर में इसे स्थापित किया गया, जिससे इसकी प्राचीन पवित्रता और रामराज्य से ऐतिहासिक संबंध को दर्शाया गया। कोविदार का धार्मिक महत्व भी गहरा है, क्योंकि इसे देवताओं का प्रिय और शुभ माना जाता है।

आयुर्वेद में इसके फूल, पत्तियां और छाल सदियों से औषधि के रूप में उपयोग होती रही हैं। ये वृक्ष न केवल पर्यावरण को सुंदर बनाता है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है।

विज्ञानी और लोक पहचान


वैज्ञानिक नाम: Bauhinia variegata

अन्य नाम: कचनार, रक्त कचनार, Mountain Ebony, ऑर्किड ट्री

पहचान: इसकी पत्तियां गाय के खुर जैसी या जुड़े हुए दिल के आकार की होती हैं।

फूल: बड़े, सुगंधित और रंग-बिरंगे फूल—सफेद, गुलाबी या गहरे बैंगनी।

उपयोग: सुंदरता, औषधीय गुण और कचनार की कलियों की सब्जी के लिए प्रसिद्ध।

धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

कोविदार का उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है। इसे रामराज्य का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान राम ने इसे अपने राजचिह्न के रूप में अपनाया। अयोध्या के श्री राम मंदिर के शिखर पर लगे धर्म ध्वज पर भी इसका प्रतीक अंकित है।

साहित्यिक और सांस्कृतिक

वाल्मीकि रामायण में कोविदार वृक्ष को सुंदर और पवित्र बताया गया है, जो अशोक वाटिका और अन्य पवित्र स्थानों पर पाया जाता था। महाभारत में भी इसे शुभ और पवित्र वृक्ष के रूप में वर्णित किया गया है।

 औषधीय और खाद्य उपयोग

कोविदार वृक्ष आयुर्वेद में सदियों से उपयोगी रहा है। इसकी छाल, पत्तियां, फूल और जड़ें रक्तशोधन, घाव भरने और ग्रंथियों से जुड़े रोगों में लाभकारी मानी जाती हैं। इसके फूलों की कलियों को भारत में सब्जी के रूप में खाया जाता है, जिसे ‘कचनार की कली की सब्जी’ कहा जाता है।

पर्यावरणीय योगदान

यह वृक्ष मजबूत और सदाबहार है, आसानी से उगता है और आसपास के वातावरण को सुंदर बनाने में मदद करता है।

राम मंदिर और धर्म ध्वज का संबंध

अयोध्या के राम मंदिर के शिखर पर भगवा रंग का धर्म ध्वज फहराया गया। यह 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा है। इसमें सूर्य का प्रतीक भगवान राम की प्रतिभा और वीरता दर्शाता है, जबकि कोविदार वृक्ष मंदिर की प्राचीन पवित्रता और रामराज्य की याद दिलाता है। ध्वज पर ‘ओम’ अंकित है और तिकोने आकार त्याग और भक्ति का प्रतीक बनाता है।

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