Video: 65 साल की ममता को नहीं कबूल था पति का अफेयर, करंट देकर मारा! उम्रकैद की सजा, लेकिन खुद केस लड़कर ले ली जमानत

मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर में घरेलू विवाद 2022 में एक सनसनीखेज हत्या के मुकदमे में बदल गया। ये मामला तब काफी चर्चाओं में आ गया है, जब बुजुर्ग महिला आरोपी ने कोर्ट में जज के सामने खुद ही अपनी पैरवी की, जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया

अपडेटेड Jun 02, 2025 पर 3:01 PM
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करंट से पति का कत्ल! कौन हैं ममता पाठक, एक वायरल वीडियो से चर्चाओं में आईं केमिस्ट्री प्रोफेसर, खुद ही लड़ रही हैं अपना केस

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच के कोर्ट रूम में वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा काट रही 65 साल की महिला जजों के सामने अकेली खड़ी थी। इस महिला का नाम है ममता पाठक और वह कोई वकील नहीं हैं। केमिस्ट्री की प्रोफेसर ने जोर देकर कहा कि उन्हें अपने 63 साल के पति नीरज पाठक की 2021 में की गई हत्या के संबंध में अपनी अपील पर बहस करने के लिए किसी वकील की जरूरत नहीं है। नीरज पाठक छतरपुर जिला अस्पताल में सीनियर फिजिशियन थे।

मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर में घरेलू विवाद 2022 में एक सनसनीखेज हत्या के मुकदमे में बदल गया। ये मामला तब काफी चर्चाओं में आ गया है, जब बुजुर्ग महिला आरोपी ने कोर्ट में जज के सामने खुद ही अपनी पैरवी की, जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया।

इस वीडियो में जस्टिस विवेक अग्रवाल पिछले महीने एक सुनवाई के दौरान ममता से पूछते हुए नजर आ रहे हैं, "आपके खिलाफ आरोप हैं कि आपने अपने पति की हत्या बिजली का करंट देकर की है। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने साफ तौर पर कहा है कि बिजली के झटके के निशान थे।"


वीडियो में ममता ने अपना बचाव करते हुए तर्क दिया, “पोस्टमार्टम के दौरान (सिर्फ उन्हें देखकर) थर्मल और इलेक्ट्रिक बर्न के निशानों के बीच अंतर करना संभव नहीं है।"

इसके बाद उन्होंने बताया कि शरीर पर पाए जाने वाले जले हुए निशान को हटाने और उसके सोर्स का पता लगाने के लिए केमिकल से ट्रीट करने की जरूरत होती है।

इस पर जज ने पूछा, “क्या आप केमिस्ट्री प्रोफेसर हैं?” 'हां' में जवाब देते हुए ममता ने कहा, “मुझे नहीं पता कि पोस्टमार्टम में यह कैसे कहा गया कि यह बिजली के झटके से जलने का निशान है।”

क्या था ये पूरा मामला?

29 अप्रैल, 2021 को डॉ. पाठक मध्य प्रदेश के छतरपुर शहर में लोकनाथपुरम में घर पर मृत पाए गए। पोस्टमार्टम के अनुसार, मौत का कारण बिजली का झटका था। कुछ ही दिनों में, उनकी पत्नी ममता, जो एक स्थानीय सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर थीं, उन्हें हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या के लिए सजा) के तहत आरोप लगाया गया।

छतरपुर जिला अदालत में चला मुकदमा परिस्थिति के अनुसार पर मिले साक्ष्यों पर आधारित था, जिसमें एक बड़ा एंगल ये था कि इस घरेलू कलह की वजह ये थी कि ममता को शक था कि उनके पति का किसी और के साथ संबंध है।

इसके अलावा, अदालती दस्तावेजों के अनुसार, पति की मौत के अगले दिन उनका व्यवहार भी बड़ा अजीब था - सुबह अपने मृत पति के बारे में किसी को बताए बिना अपने बेटे के साथ घर से निकल जाना, छतरपुर शहर से 100 किलोमीटर दूर झांसी में डायलिसिस के लिए जाना और अपने ड्राइवर के सामने यह मानना कि उन्होंने एक "बड़ी गलती" की है, इन सब बातों ने भी उन्हें शक के घेरे में ला दिया।

सबसे ठोस सबूत उनके पति का एक रिश्तेदार था, जिसने गवाही दी कि डॉ. पाठक ने अपनी मौत से कुछ घंटे पहले उसे फोन किया था और कहा था, “ममता मुझे परेशान कर रही है... उसने मुझे बाथरूम में बंद कर दिया है और मुझे खाना या पानी भी नहीं दिया।”

जिला अदालत ने दी उम्रकैद

जिला अदालत ने टाइमलाइन, गवाहों के बयान और ममता के घर से प्लग-इन वायर और नींद की गोलियों की बरामदगी को उन्हें दोषी ठहराने के लिए काफी पाया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार देवलिया ने 26 जून, 2022 को अपने फैसले में उन्हें आजीवन कारावास और 10,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

हालांकि, ममता ने हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच के सामने सजा रद्द के लिए अपील दायर की, जिसने 19 जुलाई, 2022 से उनकी याचिका पर सुनवाई शुरू की। पहली दो सुनवाइयों के दौरान - 6 सितंबर, 2022 और 28 नवंबर, 2022 को - उनके वकील अदालत में पेश नहीं हो पाए।

17 जनवरी, 2023 को उनके वकील पहली बार पेश हुए और उनकी उम्र और उनकी वृद्ध मां के प्रति उनकी जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए जल्द सुनवाई की मांग की।

तत्कालीन जस्टिस सुजॉय पॉल और जस्टिस अमर नाथ केशरवानी की बेंच ने अपराध की “वीभत्स प्रकृति” का हवाला देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी।

16 अप्रैल 2023 को ममता ने कानूनी सहायता लेने से इनकार कर दिया और कोर्ट को बताया कि उन्होंने 18 महीने तक केस को स्टडी किया है। अगस्त में उन्होंने एक और अंतरिम आवेदन दायर किया, जिसमें उन्होंने खुद की अपनी पैरवी करने की इच्छा दोहराई। 31 अगस्त, 2023 को उनकी याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि उस स्तर पर खुद की पैरवी करने की अनुमति देने का “कोई अवसर नहीं है।”

निर्णायक मोड़ 12 मार्च 2024 को आया, जब ममता ने पहली बार अपने तर्क पेश किए। अगले दिन, 13 मार्च को, उन्होंने दो दलीलों पर फोकस किया: सजा का निलंबन और जमानत। उन्होंने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष का मामला पूरी तरह से सिर्फ परिस्थिति के आधार पर मिले सबूतों पर आधारित है, जो उन्हें अपनी पति की मौत से जोड़ता है। उन्होंने अदालत को बताया कि कोई प्रत्यक्ष सबूत या प्रत्यक्षदर्शी नहीं था और न ही कोई फोरेंसिक सबूत इरादे को साबित नहीं कर सकते।

पूर्व महिला प्रोफेसर ने अपनी स्वास्थ्य समस्याओं - हार्ट वाल्व रोग, गुर्दे ठीक से काम नहीं करना और संदिग्ध हड्डी के कैंसर - का हवाला देते हुए मेडिकल रिकॉर्ड भी पेश किए और इस बात पर जोर दिया कि वह अपने मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार बेटे के देखभाल करने वाली अकेली थीं। इस बार उन्हें जमानत मिल गई।

जमानत बढ़ाने के लिए अदालत लौटीं

29 अगस्त, 2024 को ममता जमानत अवधि बढ़ाने के लिए अदालत में लौटीं। एक बार फिर, उन्होंने खुद ही अपना पक्ष रखने का फैसला किया। उन्होंने अदालत को बताया कि आर्थिक तंगी के कारण उनका इलाज नहीं हो पाया है और उनका बेटा, जिसे सिजोफ्रेनिया है, पूरी तरह से उन पर निर्भर है। अदालत ने उनकी जमानत अवधि बढ़ा दी।

16 अप्रैल, 2025 को ममता ने एक बार फिर अदालत को संबोधित किया, जिसके दौरान उन्होंने उन्हें दी गई कानूनी सहायता को अस्वीकार करने की पुष्टि की।

इस बार, बेंच ने टिप्पणी की कि उन्होंने जानबूझकर खुद ही पैरवी करने का विकल्प चुना था और इसे रिकॉर्ड पर दर्ज कर लिया। एक बार फिर, उनकी दलीलें अधूरी रहीं।

अगले दिन, 17 अप्रैल को, उन्होंने अदालत से कहा कि वह अपने पूर्व वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह से बाकी पेशी पूरी करने में सहायता चाहती हैं। उनकी कानूनी टीम का कहना है कि मामले में फैसला सुरक्षित रखा गया है।

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First Published: Jun 02, 2025 2:57 PM

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