शादी जीवन का सबसे खास और यादगार पल माना जाता है, जिसमें केवल दो लोग ही नहीं, बल्कि दोनों परिवार भी शामिल होते हैं। हिंदू रीति-रिवाजों में शादी को कई रस्मों और परंपराओं से जोड़ा गया है, जो हर चरण में विशेष महत्व रखते हैं। इनमें सबसे पहली रस्म मंगनी या इंगेजमेंट होती है, जो दंपत्ति के रिश्ते की आधिकारिक शुरुआत मानी जाती है। इस अवसर पर युवक और युवती एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं, जो उनके प्रेम और वचनबद्धता का प्रतीक होती है। खास बात ये है कि सगाई या शादी की अंगूठी हमेशा लड़की के बाएं हाथ की अनामिका अंगुली में पहनी जाती है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ये अंगुली प्रेम, आकर्षण और स्थायित्व से जुड़ी होती है। इसके अलावा, बाएं हाथ की तीसरी अंगुली सीधे ह्रदय से जुड़ी मानी जाती है, इसलिए इसे जीवनभर प्रेम और साथ निभाने का प्रतीक माना जाता है। इस तरह अंगूठी केवल आभूषण नहीं, बल्कि भावनाओं और रिश्ते की गहराई का प्रतीक भी बन जाती है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अनामिका अंगुली प्रेम, आकर्षण और उत्तेजना से जुड़ी होती है। बाएं हाथ की तीसरी अंगुली दंपत्ति के बीच के प्रेम और संबंध का प्रतीक मानी जाती है। ये अंगुली यह दर्शाती है कि दोनों जीवन भर एक-दूसरे के साथ रहेंगे। इसलिए शादी या सगाई की अंगूठी इस अंगुली में पहनना शुभ माना जाता है।
गोल आकार की अंगूठी क्यों?
सगाई या शादी की अंगूठी हमेशा गोल आकार की होती है। गोल आकृति का अंत नहीं होता, जो शादी और रिश्ते की अनंतता को दर्शाता है। इसी वजह से विवाह या सगाई की अंगूठी अनामिका अंगुली में धारण की जाती है।
बाएं हाथ की तीसरी अंगुली सीधे ह्रदय से जुड़ी मानी जाती है। इसलिए इसे दंपत्ति के प्रेम और जीवनसाथी के साथ स्थायी संबंध का प्रतीक माना जाता है। अंगूठी पहनने की ये परंपरा प्रेम और जीवनसाथी की स्थायित्व को दर्शाती है।