मसूद अजहर को 14 करोड़! दुनिया में टेरर फंडिंग का सेंटर है पाकिस्तान, जानें क्या है फंडिंग का नेटवर्क

मसूद अजहर के परिवार के 14 लोगों ने जान गंवाई है और पाकिस्तानी सरकार इसके मुआवजे में 14 करोड़ रुपये दे रही है। दुनिया में सामान्य दिमाग रखने वाला कोई भी व्यक्ति यह समझ सकता है कि मसूद अजहर इन पैसों का इस्तेमाल कहां करेगा? पूरी जिंदगी आतंकी तैयार करने वाला मसूद अजहर अब कोई पीर-फकीर नहीं बनने जा रहा। वह इन 14 करोड़ रुपयों से आतंकी की अपनी नर्सरी में खाद-पानी देगा

अपडेटेड May 15, 2025 पर 8:55 PM
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मसूद अजहर को 14 करोड़! दुनिया में टेरर फंडिंग का सेंटर है पाकिस्तान, जानें क्या है फंडिंग का नेटवर्क

अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का लोन तो दे दिया है लेकिन ये पैसा अब आतंकियों की मदद में खर्च होने जा रहा है। पाकिस्तानी सरकार ने फैसला किया है कि वह आतंकवादी मसूद अजहर को 14 करोड़ रुपये देगी। इसकी वजह भी बेहद हास्यास्पद है। दावा किया जा रहा है कि भारतीय हमले में जान गंवाने वाले हर व्यक्ति को पाकिस्तानी सरकार एक करोड़ रुपये देगी। अगर पाक सरकार अपने सैन्य कर्मियों के लिए ऐसा करती तो कोई भी आपत्ति वाली बात नहीं होती। लेकिन मसूद अजहर के परिवार के 14 लोगों ने जान गंवाई है और पाकिस्तानी सरकार इसके मुआवजे में 14 करोड़ रुपये दे रही है।

दुनिया में सामान्य दिमाग रखने वाला कोई भी व्यक्ति यह समझ सकता है कि मसूद अजहर इन पैसों का इस्तेमाल कहां करेगा? पूरी जिंदगी आतंकी तैयार करने वाला मसूद अजहर अब कोई पीर-फकीर नहीं बनने जा रहा। वह इन 14 करोड़ रुपयों से आतंकी की अपनी नर्सरी में खाद-पानी देगा।

क्यों चुप हैं IMF और FATF?


इस मामले में IMF और FATF सब चुप्पी मारकर बैठे हैं। लेकिन इन संस्थाओं से उम्मीद भी क्यों रखी जाए? पाकिस्तान पूरी दुनिया में टेरर फंडिंग का सेंटर है। यह बात अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश बहुत अच्छी तरह समझते हैं। लेकिन फिर भी पाकिस्तान की मदद की गई। क्यों की गई, इसका जवाब अब भी दुनिया में आतंक के खिलाफ खड़ा हर आदमी ढूंढ रहा है।

जर्मनी की डॉक्यूमेंट्री ने पूरा नेटवर्क बताया था

वैश्विक रूप से आतंकी गतिविधियों के लिए जो फंडिंग की जाती है, उसका मुख्य ऑपरेटर पाकिस्तान है। इस बात का खुलासा पूरी दुनिया के सामने एक विस्तृत डॉक्यूमेंट्री में जर्मनी के मीडिया हाउस डायचे वेले (Deutsche Welle) ने किया था। साल 2021 में डायचे वेले ने एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी जिसका मुख्य विषय टेरर फंडिंग था।

टेरर फंडिंग करती है ISI

The Business with Terror नाम की डॉक्यूमेंट्री को पूरी दुनिया में देखा गया है और इसकी चर्चा वैश्विक स्तर पर होती रही है। अब टेरर फंडिंग पर जानकारी के लिए इसे ऑथेंटिक काम के रूप में देखा जाता है। डॉक्यूमेंट्री वैश्विक आतंकवाद के वित्तपोषण और इसके नेटवर्क की जांच करती है, जिसमें पाकिस्तान की ISI की भूमिका पर विशेष ध्यान दिया गया है।

आतंकवादियों को पैसे, हथियार, और लॉजिस्टिक सपोर्ट

इस डॉक्यूमेंट्री में यह बताया गया था कि कैसे आतंकवादी संगठनों को धन, हथियार, और लॉजिस्टिक समर्थन मिलता है, और इसमें राज्य प्रायोजित तंत्रों की क्या भूमिका है। डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया कि ISI ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT), तालिबान, और अन्य आतंकवादी संगठनों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन प्रदान किया। 2008 मुंबई हमले: इसमें शामिल आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली और साजिद मीर को ISI से जुड़ा बताया गया। हेडली ने मुंबई हमलों की रेकी की थी, और साजिद मीर ने ऑपरेशन की योजना बनाई थी।

जितने पैसे, उतने आतंकी हमले

डॉक्यूमेंट्री में खुलासा किया गया था कि जितना अधिक धन इन संगठनों को मिलता है, उतने ही अधिक आतंकी हमले किए जाते हैं। डॉक्यूमेंट्री में पाकिस्तान की सरकार और सेना की दोहरी नीति की आलोचना की गई थी। एक तरफ, पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दावा करता है, लेकिन दूसरी तरफ ISI के जरिए आतंकवादी संगठनों को समर्थन देता है।

दक्षिण एशिया से यूरोप तक ISI की टेरर फंडिंग का असर

यह भी उजागर किया गया कि ISI की मदद से आतंकवादी गतिविधियां न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि यूरोप तक फैलीं, जहां आतंकी हमलों की साजिश रची गई। क्यूमेंट्री में बताया गया कि ISI के माध्यम से आतंकवादी संगठनों को धन और संसाधन उपलब्ध कराए गए, जिससे वैश्विक स्तर पर आतंकी हमले संभव हुए। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध वित्तीय गतिविधियों का भी जिक्र है।

आंख मूंदकर आतंक को बढ़ावा दे रहा है IMF?

लेकिन ऐसी जानकारियां पूरी दुनिया के सामने होने के बावजूद IMF ने पाकिस्तान का लोन स्वीकार कर लिया। अब मसूद अजहर जैसे आतंकियों की मदद कर पाकिस्तान ने फिर साबित किया है कि वह सुधरने वाला नहीं है। स्पष्ट है कि IMF आर्थिक मदद के नाम पर आतंकवाद को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दे सकता है, और यह वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों के खिलाफ है। IMF का यह रुख उसकी नीतियों और प्राथमिकताओं पर सवाल उठाता है, खासकर जब पाकिस्तान जैसे देश FATF की ग्रे लिस्ट में रहे हों। क्योंकि पाकिस्तान तो सुधरता नहीं दिख रहा है लेकिन क्या ये वैश्विक संस्थाएं अपने स्टैंड पर विचार करने को तैयार हैं?

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Arun Tiwari

Arun Tiwari

First Published: May 15, 2025 8:55 PM

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