क्या नोबेल प्राइज के लिए दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स इतने बड़े झूठ का सहारा ले सकता है?

ट्रंप ने इस हफ्ते पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर को अमेरिका आमंत्रित किया था। व्हाइट हाउस में दोनों की मुलाकात हुई। दोनों की बातचीत करीब दो घंटे चली थी। गौरतलब है कि ट्रंप ने पाकिस्तान के सरकार के मुखिया यानी प्रधानमंत्री को अमेरिका आमंत्रित करने की जगह सीधे आर्मी चीफ को अमेरिका बुलाया

अपडेटेड Jun 21, 2025 पर 11:23 AM
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ट्रंप का मुनीर को अमेरिका आमंत्रित करना और दोनों की मुलाकात के ठीक बाद पाकिस्तान सरकार का ट्रंप का नाम नोबेल के लिए प्रपोज करना, बताता है कि यह सबकुछ प्लानिंग के तहत हुआ।

दुनिया के सबसे ताकतवर इनसान का इस कदर झूठ का सहारा लेना चौंकाता है। क्या अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप नोबेल प्राइज के लिए जीवन के मूल्यों के साथ इतना बड़ा समझौता कर सकते हैं? क्या अब पाकिस्तान भी इस झूठ में खुलकर शामिल नहीं हो गया है? इन दोनों सवालों का जवाब 'हां' है। खबर है कि पाकिस्तान ने नोबेल प्राइज के लिए डोनाल्ड ट्रंप के नाम का प्रस्ताव भेज दिया है। पाकिस्तान ने कहा कि मई की शुरुआत में भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव को बढ़ने से रोकने में ट्रंप की भूमिका के लिए उन्हें शांति के नोबेल प्राइज से नवाजा जाना चाहिए।

ट्रंप और पाकिस्तान की प्लानिंग काफी समय से चल रही थी

ट्रंप (Donald Trump) ने इस हफ्ते पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर (Asim Munir) को अमेरिका आमंत्रित किया था। व्हाइट हाउस में दोनों की मुलाकात हुई। दोनों की बातचीत करीब दो घंटे चली थी। गौरतलब है कि ट्रंप ने पाकिस्तान के सरकार के मुखिया यानी प्रधानमंत्री को अमेरिका आमंत्रित करने की जगह सीधे आर्मी चीफ को अमेरिका बुलाया। अमेरिकी राष्ट्रपति का पाकिस्तान जैसे देश के आर्मी चीफ को सीधे बातचीत के लिए बुलाने और दो घंटे तक बातचीत करने की खबर ने दुनिया को हैरान कर दिया था। दरअसल, ट्रंप बहुत जल्दबाजी में थे, जिससे वह सीधे उस व्यक्ति से बातचीत करना चाहते थे, जिसके हाथ में अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की कमान है।


भारत का अंदाजा नहीं था कि ट्रंप ऐसा कर सकते हैं

अब पाकिस्तान ने ट्रंप के साथ मुनीर की बातचीत के बाद उनका नाम शांति के नोबल पुरस्कार के लिए नामित कर दिया है। ट्रंप का मुनीर को अमेरिका आमंत्रित करना और दोनों की मुलाकात के ठीक बाद पाकिस्तान सरकार का ट्रंप का नाम नोबेल के लिए प्रपोज करना, बताता है कि यह सबकुछ प्लानिंग के तहत हुआ। इस प्लानिंग में ट्रंप और पाकिस्तान दोनों शामिल थे। भारत को इसकी भनक नहीं थी। मई की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति पर ट्रंप की प्रतिक्रिया से भी इसकी पुष्टि होती है।

इंडिया-पाकिस्तान सीजफायर का क्रेडिट लेने की झूठी कोशिश की

नोबेल प्राइज कमेटी किसी व्यक्ति को शांति का प्राइज देने का फैसला ले सकती है। यह उसका अधिकार है। कोई देश भी किसी व्यक्ति का नाम इस प्राइज के लिए नॉमिनेट कर सकता है। यह उसका अधिकार है। लेकिन, नोबल पीस प्राइज के लिए इस बार ट्रंप ने जिस तरह से झूठ का सहारा लिया है, उसकी मिसाल आपको इतिहास में दूसरी कोई नही मिलेगी। 10 मई को इंडिया और पाकिस्तान सीजफायर के लिए राजी हुए। लेकिन, इंडिया के इसका औपचारिक ऐलान करने के ठीक पहले ट्रंप ने इस बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इस सीजफायर का क्रेडिट लेने की कोशिश की थी। इससे भारत की किरकिरी हुई। खासकर विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर तीखे हमले किए। मोदी को उस गलती के लिए निशाना बनने को मजबूर होना पड़ा, जिसमें उनका कोई हाथ नहीं था।

भारत लगातार सीजफायर में ट्रंप के रोल से इनकार करता रहा

भारत सरकार ने सीजफायर को लेकर ट्रंप के इस दावे को तुरंत खारिज किया। भारत सरकार ने बार-बार कहा कि यह सीजफायर भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ स्तर पर हुई बातचीत के बाद हुआ है। लेकिन, भारत के ट्रंप के दावे को खारिज करने के बावूजद ट्रंप पर इसका असर नहीं पड़ा। वह हर मंच पर यह कहते रहे कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को भड़कने से रोक दिया। उन्होंने यहां तक कहा कि जैसे ही उन्होंने व्यापार बंद करने की धमकी दी, दोनों देश युद्ध रोकने को तैयार हो गए।

मोदी कनाडा में ट्रंप से आमने-सामने बात करने वाले थे

हाल में जी7 के शिखर बैठक में हिस्सा लेने कनाडा गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम वहां ट्रंप से आमने-सामने बातचीत करने का था। यह माना जा रहा था कि मोदी इस बातचीत में ट्रंप के संघर्षविराम की झूठी क्रेडिट लेने का मसला उठाएंगे। लेकिन, ट्रंप के अचानक जी7 की मीटिंग को छोड़ अमेरिका लौट जाने से यह बातचीत नहीं हुई। फिर, बकौल भारत सरकार ट्रंप के अनुरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोन पर उनसे बातचीत कराई गई। इसमें मोदी ने संघर्षविराम में ट्रंप की भूमिका के बारे में उनके दावे के बारे में बातचीत की, जिसमें ट्रंप ने यह माना कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी। इसके बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि ट्रंप ने यह माना है कि सीजफायर में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।

ट्रंप ने आखिरकार माना का सीजफायर में उनका रोल नहीं

ट्रंप की तरफ से भी सार्वजनिक बयान आया कि भारत और पाकिस्तान के स्तर पर बातचीत के बाद दोनों देशों ने सीजफायर के फैसले लिए थे। लेकिन, गौरतलब है कि इस स्पष्टीकरण से पहले ट्रंप कम से कम 14 बार यह दावा कर चुके थे कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया। अब जिस तरह से पाकिस्तान ने ट्रंप का नाम शांति के नोबेल प्राइज के लिए भेजा है, उससे साफ हो गया है कि ट्रंप और पाकिस्तान की मिलीभगत बीते कई महीनों से चल रही थी।

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नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप ने फिर माली पलटी

ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ इंडिया के टकराव और टेंशन बढ़ने के दौरान लगातार ऐसे बयान दिए, जिससे पाकिस्तान को लेकर उनकी सोच बदली-बदली लग रही थी। करीब 7 साल पहले पाकिस्तान को आंतकी गतिविधियों को रोकने की धमकी देने वाले ट्रंप इस बार पाकिस्तान को लेकर काफी उदार दिख रहे थे। क्या एक नोबेल प्राइज के लिए दुनिया का सबसे ताकतर शख्स इतना गिर जाए, यह यकीन नहीं होता।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Jun 21, 2025 11:08 AM

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