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Donald Trump: ट्रंप ने एजुकेशन डिपार्टमेंट खत्म करने का दिया आदेश, लोन लेकर पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स का क्या होगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एजुकेशन डिपार्टमेंट खत्म करने का आदेश दिया है। सरकार ने कहा है कि अब एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस की जिम्मेदारी राज्यों और लोकल कम्युनिटी की होगी। इस फैसले का मकसद सरकार के खर्च में कमी लाना है। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से कई सरकारी विभागों को बंद करने का आदेश जारी हो चुका है

अपडेटेड Mar 21, 2025 पर 12:55 PM
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अमेरिकी सरकार के आदेश में एजुकेशन मिनिस्टर लिंडा मैकमाहोन को एजुकेशन डिपार्टमेंट बंद करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने को कहा गया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एजुकेशन डिपार्टमेंट खत्म करने का आदेश दिया है। इस आदेश में एजुकेशन मिनिस्टर लिंडा मैकमोहन को एजुकेशन डिपार्टमेंट को बंद करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने को कहा गया है। अब अमेरिका में एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस राज्यों और लोकल अथॉरिटीज के तहत आ जाएंगे। ट्रंप का यह आदेश सरकार के खर्च में कमी लाने के उपायों का हिस्सा है। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से कई सरकारी विभागों को बंद कर दिया गया है, जिससे बड़ी संख्या में सरकारी एंप्लॉयीज की नौकरी चली गई है।

कांग्रेस की मंजूरी के बगैर एजुकेशन डिपार्टमेंट बंद नहीं हो सकता

ट्रंप ने कहा कि हम जितना जल्द हो सके उतना एजुकेशन डिपार्टमेंट को बंद करने जा रहे हैं। इससे कोई भल नहीं हो रहा है। हम फिर से एजुकेशन के मामले में राज्यों के पास जा रहे हैं, जहां यह पहले था। एजुकेशन डिपार्टमेंट की शुरुआत 1979 में हुई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसे अमेरिकी संसद के आदेश के बगैर बंद नहीं किया जा सकता।


एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस की फंडिंग पर असर पड़ेगा

सवाल है कि क्या अमेरिकी सरकार के फैसले से वहां पढ़ाई करने वाले विदेशी स्टूडेंट्स पर असर पड़ेगा? एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर फेडरल गवर्नमेंट की तरफ से मिलने वाला पैसा बंद होता है तो इससे स्कूलों की इनकम का पूरा स्रोत बंद नहीं होगा। लेकिन, उनके रेवेन्यू पर असर पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर स्कूलों को राज्यों और लोकल प्रॉपर्टी टैक्सेज से पैसा मिलता है। एक अनुमान के मुताबिक, स्कूलों की फंडिंग में फेडरल गवर्नमेंट की हिस्सेदारी 16 फीसदी के करीब है।

सरकारी सहायता से पढ़ाने करने वाले स्टूडेंट्स को होगी दिक्कत

एजुकेशन डिपार्टमेंट 1.6 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा के स्टूडेंट लोन का प्रबंधन करता है। इसके लिए उसने थर्ड पार्टी लोन सर्विसिंग कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट किए हैं। एजुकेशन डिपार्टमेंट के बंद हो जाने से स्टूडेंट्स के पास लोन लेने और उसके रिपेमेंट के विकल्प घट जाएंगे। पब्लिक सर्विस लोन फॉरेगिवनेस जैसे प्रोग्राम पर भी ताला लग सकता है। इससे स्टूडेंट को लोन नहीं मिलेगा या इसमें देरी होगी।

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120 अरब डॉलर स्टूडेंट्स को फेडरल लोन के रूप में मिलते हैं

अमेरिका में बड़ी संख्या में अंगरग्रेजुएट्स फेडरल ग्रांट्स पर निर्भर करते हैं। हर साल करीब 120.8 अरब डॉलर वर्क-स्टडी फंड और फेडरल लोन के रूप में स्टूडेंट्स को दिए जाते हैं। स्टूडेंट को फ्री अप्लिकेशन फॉर फेडरल स्टूडेंट ऐड (FAFSA) के लिए अप्लाई करना पड़ता है। इसका प्रबंधन भी एजुकेशन डिपार्टमेंट करता है। डिपार्टमेंट के बंद होने से स्टूडेंट्स को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका में एजुकेशन काफी महंगा है। आर्थिक मदद के बगैर कॉलेज में पढ़ाई करना मुश्किल है।

 

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