अफगानिस्तान से फिर बगराम एयरबेस लेना चाहते हैं ट्रंप, जानें क्यों है खास और क्या है अमेरिका की मंशा?

डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद अहम बताया। उन्होंने कहा कि यह बेस पश्चिमी चीन के करीब है, जहां बीजिंग का परमाणु हथियार कार्यक्रम चल रहा है। ट्रंप ने पहले भी अफगानिस्तान से बाइडेन सरकार की वापसी को बड़ी गलती करार दिया था

अपडेटेड Sep 19, 2025 पर 8:56 PM
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अमेरिका फिर से अफगानिस्तान में बगराम एयर बेस पाने के लिए बेचैन क्यों

लंदन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनका लक्ष्य अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को दोबारा अमेरिकी नियंत्रण में लेना है। यह वही एयरबेस है जो कभी अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो अभियानों का अहम केंद्र था, लेकिन 2021 में अमेरिकी वापसी के दौरान खाली कर दिया गया था और अब तालिबान के कब्जे में है।

ट्रंप ने कही ये बात

ट्रंप ने कहा, “हम इसे वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं। यह बेस हमारे लिए बेहद अहम है क्योंकि यह चीन के परमाणु हथियार बनाने वाली जगह से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है। कई चीजें चल रही हैं, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है और यह निराशाजनक है।”

डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद अहम बताया। उन्होंने कहा कि यह बेस पश्चिमी चीन के करीब है, जहां बीजिंग का परमाणु हथियार कार्यक्रम चल रहा है। ट्रंप ने पहले भी अफगानिस्तान से बाइडेन सरकार की वापसी को बड़ी गलती करार दिया था। उनका आरोप है कि बगराम में अरबों डॉलर का सैन्य सामान छोड़ दिया गया। इस साल फरवरी में भी उन्होंने कहा था कि बाइडेन ने इस बेस को बिना वजह खाली कर दिया, जबकि वहां सीमित संख्या में अमेरिकी सैनिकों को रखना संभव था। ट्रंप के अनुसार, “बगराम एक बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतिक ठिकाना था। इसे हमें कभी नहीं छोड़ना चाहिए था।”

बगराम की अहमियत


काबुल से करीब 40 किलोमीटर उत्तर में परवान प्रांत की 1,492 मीटर ऊंचाई पर स्थित बगराम एयरबेस रणनीतिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है। इसे 1950 के दशक में सोवियत संघ ने बनाया था और बाद में यह मध्य और दक्षिण एशिया में अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण ठिकाना बन गया। यहां दो बड़े रनवे हैंएक लगभग 11,800 फीट लंबा और दूसरा करीब 9,700 फीट लंबा। इन पर दुनिया के सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट और फाइटर प्लेन आसानी से उतर सकते हैं।

अमेरिका के नियंत्रण के दौरान बगराम एक छोटे शहर जैसा था। यहां हजारों सैनिक रहते थे, 50 बेड वाला अस्पताल था, पश्चिमी देशों जैसी दुकानें मौजूद थीं और एक बड़ा हिरासत केंद्र भी था, जहां तालिबान और अल-कायदा के बड़े कैदियों को रखा जाता था।

रणनीतिक दृष्टि से बगराम का महत्व

एक्सपर्ट का मानना है कि बगराम की स्थिति इसे और भी अहम बनाती है, क्योंकि यह ईरान, मध्य एशिया और चीन के शिनजियांग प्रांत के करीब है। इसी वजह से यह निगरानी और खुफिया अभियानों के लिए आदर्श जगह मानी जाती है। पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन तेजी से अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है। 2024 तक उसके पास लगभग 600 सक्रिय परमाणु हथियार होने का अनुमान है और 2030 तक यह संख्या 1,000 तक पहुंच सकती है। शिनजियांग में ही चीन की कई महत्वपूर्ण परमाणु और मिसाइल से जुड़ी सुविधाएं मौजूद हैं, जिनमें लोप नूर परीक्षण केंद्र और नए मिसाइल साइलो फील्ड भी शामिल हैं।

अमेरिका ने रातों-रात खाली कर दिया था एयरबेस 

9/11 हमलों के बाद करीब 20 साल तक बगराम एयरबेस अमेरिकी सैन्य अभियानों का अहम केंद्र रहा। यहां अमेरिकी वायुसेना की 455वीं यूनिट और सहयोगी देशों की टुकड़ियाँ तैनात रहती थीं। लेकिन ट्रंप के पहले कार्यकाल में हुए फरवरी 2020 के दोहा समझौते के बाद अमेरिका ने सभी सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया। 1 जुलाई 2021 को अमेरिकी सेना ने अचानक रातोंरात बगराम को खाली कर दिया। खास बात यह थी कि अफगान सहयोगियों को पहले से इसकी जानकारी भी नहीं दी गई। हालांकि अफगान सेना ने थोड़े समय के लिए इसका नियंत्रण संभाल लिया, लेकिन तुरंत ही लूटपाट शुरू हो गई। कुछ ही हफ्तों बाद, 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया, बगराम के हिरासत केंद्र से हजारों कैदियों को आज़ाद कर दिया और पूरे एयरबेस पर अपना नियंत्रण कर लिया।

MoneyControl News

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First Published: Sep 19, 2025 8:56 PM

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