Donald Trumps H 1B Visa: विवाद पर ठंडे पड़े डोनाल्ड ट्रंप के तेवर, दो महीने में ही अपने फैसले से पलटना पड़ा

Donald Trumps H 1B Visa: अमेरिका में कंपनियों के लिए विदेशी कामगारों को नौकरी देना महंगा पड़ रहा है। इसकी वजह अमेरिका में एच-1बी वीजा है, जिस पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने रुख में दो महीने के अंदर ही बदलाव करना पड़ रहा है। नए वीजा नियम अमेरिका में बड़े विवाद की वजह रहे हैं। आइए जानें

अपडेटेड Nov 13, 2025 पर 12:23 PM
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने माना कि उनके देश में टैलेंटेड लोगों की संख्या कम है।

अमेरिकी राष्ट्रपति को देश की सत्ता संभाले एक साल का समय हो चुका है। इस दौरान उनके लिए फैसलों से अंतरराष्ट्रीय बाजार और राजनीति में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। एच-1बी वीजा पर लिए उनके फैसले अमेरिकी कंपनियां भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इनके लिए विदेशी वर्कर्स को अपने यहां नौकरी देना काफी महंगा सौदा हो गया है। इसकी वजह से कंपनी वर्कफोर्स पर असर पड़ा है। एच-1बी वीजा के धुर आलोचक रहे ट्रंप को अब इन कारणों की वजह से दो महीने पहले लिए अपने ही फैसले से पलटना पड़ रहा है। उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि अमेरिका को विदेशी टैलेंट की जरूरत है। उनके देश को आगे बढ़ाने में एच-1बी वीजा ही मदद कर सकता है।

बता दें, अमेरिका में हर साल 65,000 एच-1बी वीजा जारी किए जाते हैं। इनमें से 20,000 वीजा अमेरिकी यूनिवर्सिटी से मास्टर्स या उससे ऊपर की डिग्री हासिल करने वाले लोगों के लिए रिजर्व रहते हैं। हालांकि, सितंबर में राष्ट्रपति ट्रंप ने इस वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) कर दी थी। इसके बाद से कंपनियां वर्कफोर्स में कमी का समाना कर रही हैं। अमेरिका में टेक, स्वास्थ्य और वित्त जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियां अपने यहां विशेषज्ञ कामगारों की भर्ती एच-1बी वीजा के तहत करती हैं। कई यूनिवर्सिटी में भी प्रोफेसर या रिसर्चर भी इसी वीजा प्रक्रिया के तहत हायर किए जाते हैं।

ट्रंप ने माना उनके देश में टैलेंट की कमी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने माना कि उनके देश में टैलेंटेड लोगों की संख्या कम है। उन्होंने कहा, ‘आपको टैलेंट को भी देश में लाना होगा। आपके पास कुछ खास टैलेंट वाले लोग नहीं हैं। आपको ऐसा करना ही होगा, लोगों को सीखना होगा। आप लोगों को बेरोजगारी की कतार में से निकालकर यह नहीं कह सकते कि, मैं तुम्हें किसी फैक्ट्री में लगा दूंगा। हम मिसाइलें बनाएंगे।’

राष्ट्रपति के जवाब से हैरान फॉक्स न्यूज की पत्रकार लॉरा इंग्राहम ने तर्क दिया कि अमेरिका में पहले से ही काफी टैलेंटेड लोग हैं। इस पर ट्रंप ने कहा कि ऐसा नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीधे-सीधे एच-1बी वीजी नियमों में ढील की बात नहीं की। लेकिन इशारों में उन्होंने इसमें नरमी के संकेत दिए हैं। उनका ये इंटरव्यू साफ करता है कि अमेरिका को विदेशी विशषज्ञ कामगारों की जरूरत है। इसके लिए एच-1बी वीजा ही उनका एकमात्र सहारा है।

भारत एच-1बी वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी


अमेरिकी टेक कंपनियां सबसे ज्यादा एच-1बी वीजा का इस्तेमाल करती हैं। लेकिन हाल में इस वीजा की फीस बढ़ने के बाद अब विदेशी वर्कर्स को नौकरी देना इनके लिए महंगा हो गया है। इस वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी भारत रहा है। पिछले साल 70% वीजा सिर्फ भारतीयों को ही मिले। इसके बाद 11% चीनी नागरिकों ये वीजा प्रदान किया गया। वीजा फीस बढ़ने के बाद कई कंपनियां काफी परेशान भी हैं।

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