UNHRC: भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में पाकिस्तान के लगातार उकसावे भरे बयानों पर करारा जवाब दिया। भारत ने अपने पड़ोसी देश को याद दिलाया कि वह अपने ही नागरिकों पर बम बरसाता है और दुनिया भर में अस्थिरता पैदा करने के लिए आतंकवाद का एक्सपोर्ट करता है। भारतीय राजनयिक क्षितिज त्यागी ने पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए कहा कि जो प्रतिनिधिमंडल इस मंच का दुरुपयोग करता है, उसे पहले अपनी जमीन पर ध्यान देना चाहिए।
पाकिस्तान को 'अवैध कब्जे वाला क्षेत्र खाली' करने की नसीहत
राजनयिक क्षितिज त्यागी ने अपने संबोधन में कहा, 'एक प्रतिनिधिमंडल जो इस दृष्टिकोण का विरोधी है, वह भारत के खिलाफ बेबुनियाद और भड़काऊ बयानों से इस मंच का दुरुपयोग कर रहा है।' उन्होंने पाकिस्तान को सलाह देते हुए कहा, 'हमारी जमीन पर नजर रखने के बजाय, उन्हें अपनी अवैध कब्जे वाली भारतीय जमीन को खाली कर देना चाहिए और अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो फिलहाल 'लाइफ सपोर्ट' पर है।'
त्यागी ने पाकिस्तान की राजनीति पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि वहां की सरकार सैन्य प्रभुत्व से दबी हुई है और उनका मानवाधिकार रिकॉर्ड अत्याचारों से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह सब तब हो रहा है, जब वे आतंकवाद का निर्यात करते हैं, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों को पनाह देते हैं और अपने ही लोगों पर बम बरसाते हैं।
अपने ही लोगों पर बम बरसाने का दिया हवाला
त्यागी का यह कड़ा बयान सोमवार सुबह खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुए एक हालिया घटना के संदर्भ में आया था। यहां पाकिस्तानी वायु सेना के JF-17 लड़ाकू विमानों ने माटरे दारा गांव पर आठ LS-6 बम गिराए थे। डीडी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में महिलाओं और बच्चों सहित 30 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद नागरिक शवों की परेशान करने वाली तस्वीरें भी सामने आई थीं।
क्या है खैबर पख्तूनख्वा में चल रही अशांति?
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और पूर्व संघीय प्रशासित आदिवासी क्षेत्रों (FATA) में अशांति की जड़ें 2000 के दशक की शुरुआत से जुड़ी हैं, जब अफगानिस्तान पर अमेरिकी आक्रमण के बाद अल-कायदा और तालिबान के लड़ाके वहां से भागकर पाकिस्तान की तरफ आ गए थे। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के अनुसार, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे समूहों ने इस क्षेत्र को उग्रवाद का केंद्र बना दिया, जो पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और आम नागरिकों को निशाना बनाने लगे।
पाकिस्तान सेना ने हालांकि 2014 में ऑपरेशन जरब-ए-अजब और 2017 में ऑपरेशन रद-उल-फसाद जैसे बड़े अभियान चलाए, लेकिन बीबीसी की 2023 की रिपोर्टों के अनुसार, 2021 में अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद TTP फिर से मजबूत हो गया है। विश्लेषकों का मानना है कि इन क्षेत्रों में अब भी उग्रवादी हावी हैं और पाकिस्तानी सेना को नियंत्रण वापस पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।