भद्रकाली में नेपाल आर्मी हेडक्वार्टर के बाहर लगातार दूसरे दिन तनाव बढ़ गया, क्योंकि Gen-Z के प्रदर्शनकारी अंतरिम नेता के चयन को लेकर बंटे हुए दिखाई दिए। गुरुवार दोपहर, पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की और काठमांडू के मेयर बालेन शाह के समर्थक प्रतिद्वंद्वी गुट सेना परिसर के बाहर भिड़ गए और इस बात पर तीखी बहस हुई कि अंतरिम सरकार का नेतृत्व कौन करेगा। हफ्तों से चले आ रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच बदलाव की मांग कर रहे यही प्रदर्शनकारी बुधवार शाम को भी उसी जगह पर इकट्ठा हुए और नए नेतृत्व को लेकर जोरदार बहस करते नजर आए। उनका गुस्सा भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और बेरोजगारी जैसी समस्याओं को लेकर था।
इस हफ्ते की शुरुआत में जब सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाई गई, तो विरोध तेज होकर हिंसक हो गया। इसके बाद हालात बिगड़ते देख सेना के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वे अगले दिन सुबह स्पष्ट सहमति के साथ लौटें और अपने अंतरिम नेतृत्व का नाम तय करें।
खबरहब, जिसने सबसे पहले इस घटना की रिपोर्ट दी, उसने एक तस्वीर भी शेयर की जिसमें एक प्रदर्शनकारी को सेना मुख्यालय के बाहर दूसरे को मुक्का मारते हुए दिखाया गया। हालांकि, Moneycontrol Hindi इस तस्वीर की पुष्टि स्वतंत्र रूप से नहीं कर सका।
रिपोर्ट के अनुसार, झड़पें सेना मुख्यालय के सामने मेन रोड पर तब शुरू हुईं, जब युवाओं के एक समूह ने पूर्व चीफ जस्टिस कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने के खिलाफ नारे लगाए।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश कार्की के समर्थकों और काठमांडू के मेयर बालेन शाह के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। इसी बीच, धरान के मेयर हरका सम्पांग के कुछ समर्थक भी भिड़ंत में शामिल हो गए। शुरू में नारेबाजी हुई, लेकिन देखते ही देखते यह हाथापाई और गैंग जैसी मारपीट में बदल गई। रिपोर्ट के मुताबिक, यह इलाका "तनाव का केंद्र" बन गया और नेपाली सेना के जवानों को हालात काबू में करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
इससे पहले, सेना के प्रवक्ता ने AFP को बताया कि सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने बुधवार को कई बड़े नेताओं और "Gen-Z" आंदोलन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी।
ये विरोध प्रदर्शन सोमवार को काठमांडू में सरकार के सोशल मीडिया बैन और लंबे समय से जारी भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए थे। हिंसक दमन कार्रवाई में अब तक कम से कम 34 लोगों की मौत हो चुकी है।
मंगलवार तक हालात और बिगड़ गए और विरोध पूरे देश में फैल गया। सरकारी दफ्तरों, एक बड़े होटल और कई अन्य इमारतों को आग के हवाले कर दिया गया। इस अफरा-तफरी में देशभर की जेलों से 13,500 से ज्यादा कैदी भागने में सफल रहे।