विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार (18 नवंबर) को रूस में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में आतंकवाद पर शख्स संदेश दिया। दिल्ली विस्फोट के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में जयशंकर ने कहा कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा करने का अधिकार है। विदेश मंत्री ने कहा कि हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि एससीओ की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की तीन बुराइयों से निपटने के लिए की गई थी।
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि दुनिया आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाए। जयशंकर ने कहा, "आतंकवाद को कोई औचित्य नहीं दिया जा सकता। उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उसे लीपापोती नहीं की जा सकती।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा करने का अधिकार है और वह इसका प्रयोग करेगा।
उन्होंने एससीओ नेताओं से कहा कि आतंकवाद का मुकाबला एक साझा प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए। इसमें सहनशीलता के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। जयशंकर ने कहा, "यह जरूरी है कि दुनिया आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाए। आतंकवाद को कोई औचित्य नहीं दिया जा सकता। उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, उसे लीपापोती नहीं की जा सकती।"
विदेश मंत्री की यह तीखी टिप्पणी केंद्र सरकार द्वारा 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए कार विस्फोट को आतंकवादी हमला मानने और इसकी जांच एनआईए को सौंपने के निर्देश के कुछ ही दिनों बाद आई है।
भारत और रूस अगले महीने की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिल्ली यात्रा के दौरान संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए कई समझौतों, पहलों एवं परियोजनाओं को मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं।
यात्रा की तैयारियों के तहत विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ व्यापक वार्ता की। जयशंकर ने बैठक में अपने प्रारंभिक भाषण में कहा, "यह विशेष अवसर मेरे लिए और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "विभिन्न क्षेत्रों में कई द्विपक्षीय समझौतों, पहलों और परियोजनाओं पर चर्चा हो रही है। हम आने वाले दिनों में इनके अंतिम रूप दिए जाने की आशा करते हैं।" जयशंकर ने कहा, "ये निश्चित रूप से हमारी विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और अधिक मजबूती एवं स्वरूप प्रदान करेंगे।"
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत, रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के हालिया प्रयासों का समर्थन करता है। विदेश मंत्री इस समय अपने रूसी समकक्ष लावरोव के साथ वार्ता के लिए मॉस्को में हैं। उनकी इस यात्रा को पुतिन की यात्रा की तैयारियों का एक हिस्सा भी माना जा रहा है।
रूसी राष्ट्रपति के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक शिखर वार्ता के लिए पांच दिसंबर के आसपास भारत आने की उम्मीद है। शिखर सम्मेलन से द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण परिणाम सामने आने की उम्मीद है। अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 22 वार्षिक शिखर बैठकें हो चुकी हैं।