अमेरिका से ट्रेड डील को लेकर अच्छी खबर आई है। ट्रेड डील फाइनल हो चुकी है। इंडिया और अमेरिका की तरफ से जल्द इसका ऐलान हो सकता है। सवाल है कि मार्च और अप्रैल की शुरुआत में दुनिया के बड़े देशों को रेसिप्रोकल टैरिफ से डराने वाले ट्रंप इंडिया के साथ डील के लिए मजबूर हुए हैं? 9 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलान के बाद से ट्रंप के बयान को देखें तो इसका जवाब 'हां' है। ट्रंप रेसिप्रोकल टैरिफ के जिस हथियार का इस्तेमाल शुरू किया था, उसकी असली निशाना चीन था। लेकिन, हैरान करने वाली बात है कि जो देश अमेरिका के निशाने पर सबसे ज्यादा था, ट्रंप ने सबसे पहले डील उस देश (चीन) से की है।
अमेरिका को चीन के साथ भी जल्द डील करनी पड़ी
क्या चीन के साथ ट्रेड डील (Trade Deal) जल्द करना ट्रंप की मजबूरी थी? इसका भी जवाब 'हां' है। Donald Trump के टैरिफ के जवाब में चीन ने जो जवाबी कार्रवाई की, उससे अमेरिका को सांप सूंघ गया। ट्रंप ने सोचा नहीं था कि चीन के रेयर अर्थ मिनरल्स की सप्लाई रोक देने से अमेरिका में कई इंडस्ट्रीज के सामने बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। स्थिति बिगड़ने से पहले ट्रंप ने अपना रुख बदला और चीन के साथ ट्रेड डील के लिए बातचीत शुरू कर दी।
इंडिया के साथ डील में अमेरिका की काफी दिलचस्पी
ट्रंप ने 26 जून को व्हाइट हाउस के एक प्रोग्राम में कहा, "हमने हाल में चीन के साथ डील पर हस्ताक्षर किए हैं। हम हर देश के साथ डील करने नहीं जा रहे हैं...लेकिन हम कुछ बड़ी डील की तरफ बढ़ रहे हैं। एक डील जल्द होने जा रही है, हो सकता है कि यह इंडिया के साथ हो-यह बहुत बड़ी डील है।" यह ध्यान में रखना जरूरी है कि अप्रैल में ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान करने के पहले से अमेरिका और इंडिया में द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत चल रही है।
पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी की अनदेखी नहीं कर सकता है अमेरिका
ट्रंप के 26 जून के बयान को इंडिया के साथ व्यापार में अमेरिकी की बढ़ती दिलचस्पी का पता चलता है। इंडिया दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन चुका है। ऐसे में ग्लोबल ट्रेड में भी इंडिया का रूतबा बढ़ रहा है। ट्रंप ने यह साफ किया है कि अमेरिका हर देश के साथ ट्रेड डील करने नहीं जा रहा है। उन्होंने कहा, "कुछ देशों को हम सिर्फ लेटर भेजने जा रहे हैं, जिसमें हम उनका शुक्रिया अदा करेंगे। इन देशों को 25, 35 और 45 फीसदी टैरिफ चुकाना होगा।"
अभी अमेरिका-भारत व्यापार में पलड़ा भारत के पक्ष में
अमेरिका तेजी से बढ़ते भारत जैसे देश की अनदेखी नहीं कर सकता है। ट्रंप ने कई बार कहा है कि अमेरिका और भारत के व्यापार में पलड़ा भारत के पक्ष में झुका हुआ है। ट्रंप के मुताबिक, भारत के साथ व्यापार में अमेरिका 45 अरब डॉलर के घाटे में है। ट्रेड डील के बाद यह डेफिसिट घटेगा। लेकिन, भारत ने जिस तरह से इंपोर्ट घटाने और एक्सपोर्ट बढ़ाने पर फोकस किया है, उससे इस डील से उसे (भारत) को ज्यादा फायदा होगा।
अमेरिकी व्यापार मंत्री ने भी जल्द डील की उम्मीद जताई थी
इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने भारत के साथ ट्रेड होने की उम्मीद जताई थी। यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फॉरम में उन्होंने कहा था कि दोनों देशों ने 'कॉमन ग्राउंड' तैयार कर लिया है और डील को जल्द अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा था, "मेरा मानना है कि हम बहुत अच्छी स्थिति में हैं। नतीजों को लेकर हम बहुत उत्साहित हैं।" भारत भी इस बात की पुष्टि कर चुका है कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील के लिए बातचीत चल रही है।
यह भी पढ़ें: India-US Deal: भारत-अमेरिका के बीच होने वाली है बड़ी ट्रेड डील!
भारत भी बातचीत जारी रहने की पुष्टि कर चुका है
हाल में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी पुष्टि की थी कि दोनों देश एक बेहतर और संतुलित व्यापार समझौते के लिए बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने 10 जून को मीडिया से बातचीत में कहा था, "हम ऐसे व्यापार समझौते के लिए बातचीत कर रहे हैं, जो भारत और अमेरिका दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा।" इस डील में बाजार पहुंच बढ़ाने, खास आइटम्स पर टैरिफ घटाने और इनवेस्टमेंट और सर्विसेज के बेहतर प्रवाह पर फोकस होगा।