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Megaquake: जापान ने दी महाभूकंप और सुनामी की चेतावनी, 3 लाख लोगों की मौत की आशंका, पूरी दुनिया में मचा हड़कंप

Megaquake and Tsunami Alert: भूकंप और सुनामी का नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हाल ही में म्यांमार में आए भीषण भूकंप से पूरी दुनिया में कहराम मच गया। इस बीच जापान सरकार की एक रिपोर्ट से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है। सरकार ने महाभूकंप और सुनामी की चेतावनी जारी की है। इसमें 3 लाख लोगों के मौत की आशंका जताई है

अपडेटेड Apr 01, 2025 पर 11:44 AM
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Megaquake and Tsunami Alert: जापान की सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नानाकाई इलाके में 9 से ज्यादा तीव्रता का भूकंप आ सकता है।

म्यांमार में आए भूकंप से पूरी दुनिया दहल गई। आसमान चूमती इमारतें जमींदोज हो गईं। 7 से ज्यादा तीव्रता के आए इस भूकंप से 1600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इस बीच जापान सरकार ने एक ऐसा अलर्ट जारी किया है। जिससे पूरी दुनिया में हडकंप मच गया है। जापान ने दक्षिण तटीय इलाकों में महाभूकंप और सुनामी आने की आशंका जताई है। इससे समुद्र में सुनामी उठेगी और कई देशों में व्‍यापक तबाही मचाएगी। इसमें करीब 3 लाख लोगों की मौत हो सकती है और 2 लाख करोड़ डॉलर ($2 trillion) का नुकसान हो सकता है। यह देश की कुल जीडीपी के लगभग आधे के बराबर होगा।

बता दें कि जापान में दुनिया के सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं। सरकार के मुताबिक, नानकाई ट्रफ (Nankai Trough) नामक भूकंपीय क्षेत्र में अगले कुछ सालों में 8 से 9 तीव्रता के भूकंप आ सकते हैं। नानकाई ट्रफ जापान के दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत तट के पास स्थित एक 900 किलोमीटर लंबा क्षेत्र है। जहां फिलीपीन सी प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसक रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस क्षेत्र में हर 100 से 150 साल में एक बार मेगाभूकंप आता है। जिससे भारी तबाही मच सकती है।

जापान में आ सकता है 9 तीव्रता का भूकंप


जापान सरकार ने चेतावनी दी है कि यहां भूकंप की तीव्रता 9 हो सकती है। इस भूकंप से 2 लाख से ज्यादा मकान जमींदोज हो सकते हैं। 298,000 लोग मारे जा सकते हैं। इसमें इमारतों की वजह से 73,000 लोग और आग लगने की वजह से 9,000 लोग मारे जा सकते हैं। इसमे 13 लाख लोगों को घरों से बाहर निकालना पड़ सकता है। यह जापान की कुल जनसंख्या का 10 फीसदी होगा। जापान दुनिया के सबसे खतरनाक जोन में हैं। यहां समुद्री क्षेत्र में 8 से 9 तीव्रता के भूकंप की लगभग 80 फीसदी आशंका रहती है। भीषण भूकंप की वजह से समुद्र में सुनामी आ सकती है। इस दौरान लहरों की ऊंचाई 30 मीटर से ज्यादा हो सकती है।

बता दें कि पिछले साल जापान ने अपनी पहली मेगाभूकंप चेतावनी जारी की थी। जब इस क्षेत्र के किनारे 7.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। इसमें कहा गया था कि नानकाई ट्रफ में 9 तीव्रता का भूकंप आने की आशंका बढ़ रही है। साल 2011 में जापान के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में 9 तीव्रता का भूकंप आया था। जिसके बाद आई सुनामी और फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में हुए हादसे से 15,000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।

क्यूशु और शिकोकू द्वीपों पर लगे थे भूकंप के झटके

कुछ समय पहले जापान के क्यूशु और शिकोकू द्वीपों पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। तब रिक्टर स्केल पर उसकी तीव्रता 7.1 मापी गई थी। इस भूकंप में 16 लोग घायल हो गए थे। तटीय इलाकों मियजाकी, कोची, इहिमे, कागोशिमा और आइता में सुनामी को लेकर अलर्ट जारी किया गया था। क्यूशु के मियाजाकी में समुद्र की 20 सेंटीमीटर ऊंची लहरे उठती देखी गई थीं। इस घटना के बाद जापान मेटियोरोलिजकल एजेंसी (JMA) ने पहली बार मेगाक्वेक अलर्ट जारी किया था। जापान में यह पहला मौका है जब इस तरह की एडवाइजरी जारी की गई थी। इस भूकंप का सेंटर समुद्र तट से दूर और लगभग 25 किलोमीटर अंडरग्राउंड समुद्री गर्त नानकाई ट्रफ के पास था। नानकाई ट्रफ के नीचे एक बड़ा फॉल्ट जोन है।

जानिए क्या है मेगाक्वेक अलर्ट?

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक रिक्टर पैमाने पर 8 से ज्यादा तीव्रता वाले भूकंपों को मेगाक्वेक के रूप में क्लासिफाई किया गया है। इतनी तीव्रता के भूकंप से तबाही आ सकती है। ऐसी स्थिति में मेगाक्वेक अलर्ट जारी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस तरह का भूकंप हर 100 साल में एक बार आता है।

जानिए कैसे आता है भूकंप

भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है। फिर सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता और क्या है मापने का पैमाना?

भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है।

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